पहले शुद्ध पानी तो मुहैया कराइए जनाब!
जासं, इलाहाबाद : प्रयाग स्मार्ट सिटी बनने की तरफ लगातार एक कदम आगे बढ़ा रहा है, लेकिन यहां की व्यवस्
जासं, इलाहाबाद : प्रयाग स्मार्ट सिटी बनने की तरफ लगातार एक कदम आगे बढ़ा रहा है, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं अपने ढर्रे पर ही चल रही हैं। इसमें सुधार को लेकर प्रशासनिक अमले में कोई खास सरगर्मी नहीं दिखाई दे रही है। शहर के तमाम हिस्सों में लोगों को शुद्ध पानी तक मयस्सर नहीं हो रहा है। लिहाजा, नागरिक गंदा पानी पीकर बीमार हो रहे हैं और अस्पताल पहुंच रहे हैं। वहीं, कहीं लो प्रेशर तो कहीं असमान जलापूर्ति से शहरियों को अलग परेशानी हो रही है। अहम यह कि जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन रिन्यूअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत संचालित योजनाएं भी बहुत असरदार साबित नहीं हुई, जबकि इस योजना में 24 घंटे सातों दिन जलापूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
जेएनएनयूआरएम के तहत ढाई अरब से ज्यादा की जलापूर्ति योजनाएं संगमनगरी में चलाई गई। योजनाओं को पूरे हुए भी दो-ढाई वर्ष हो रहे हैं फिर भी शहरियों की प्यास बुझाने में विभाग और अधिकारी नाकाम हैं। कहीं नलकूप खराब होने तो कहीं ओवरहेड टैंकों के पाइप लाइनों से न जुड़ने से लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। कहीं पाइप लाइनों के क्षतिग्रस्त होने से लोगों को गंदे पानी की आपूर्ति हो रही है। छोटा बघाड़ा, ढरहरिया, तिलक नगर, राजापुर, अशोक नगर, मुंडेरा, करेली, तेलियरगंज समेत कई क्षेत्रों में प्रदूषित जलापूर्ति की शिकायतें हैं। जानकार बताते हैं कि प्रदूषित जलापूर्ति की समस्या उन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा है, जहां सीवर लाइन बिछाने का कार्य हाल के दिनों तक चला है। गंदे पानी की आपूर्ति रोकना जलकल विभाग के लिए बड़ी चुनौती है। रसूलाबाद, मेंहदौरी कालोनी क्षेत्रों में लो प्रेशर की समस्या है। कालिंदीपुरम, साउथ मलाका, जगमल का हाता जैसे क्षेत्रों में बने ओवरहेड टैंकों से जलापूर्ति अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है। जहां ओवरहेड टैंकों से जलापूर्ति हो भी रही है। अक्सर पूरी क्षमता से पानी न मिलने की शिकायत लोग करते रहते हैं।
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दो योजनाओं में क्या हुए कार्य
इलाहाबाद जल संपूर्ति योजना भाग एक और इलाहाबाद जल संपूर्ति योजना भाग दो में शहर भर में जलापूर्ति संबंधी कार्य हुए। भाग एक के अंतर्गत 89.69 करोड़ में 19 ओवरहेड टैंक, चार भूमिगत जलाशय, 133 किमी. पाइप लाइन, 23 किमी. राइजिंग मेन बिछाने संग 33 नए नलकूप लगाए गए और 18 नलकूप रिबोर हुए। जबकि भाग दो में 162.34 करोड़ की लागत से 18 ओवरहेड टैंक, तीन भूमिगत जलाशय, 46 नए नलकूप, 665 किमी. पाइप लाइन, 45 किमी. राइजिंग मेन का कार्य हुआ। इतनी कवायद के बावजूद शहर के कई ऊंचे हिस्सों में लोग भोर में पानी न भर लें तो उन्हें दिनभर बूंद-बूंद पानी को तरसना पड़े। ऐसे इलाकों में अतरसुइया, रानी मंडी, दरियाबाद, जोगी घाट, सदियापुर, शास्त्री नगर के कुछ हिस्से, कटघर, करेली, करैलाबाग, लूकरगंज और बेनीगंज के कुछ हिस्से शामिल हैं।
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अब तक नहीं लग सके मीटर
बिजली की तरह पानी के लिए भी घरों में मीटर लगाए जाने हैं। इसके लिए स्वीकृति दो-ढाई वर्ष पहले ही मिल गई थी। शासन स्तर से टेंडर प्रक्रिया भी एक वर्ष से ज्यादा समय से प्रक्रियागत है। फिर भी राजनीतिक पेंच के चलते टेंडर प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी। माना जा रहा है कि मीट¨रग सिस्टम लागू होने से पानी की बर्बादी पर रोक लगेगी। इससे उन क्षेत्रों को भी भरपूर पानी मिल सकेगा, जहां जलसंकट रहता है।
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करोड़ों की मशीनें 'बेकार'
पाइप लाइन में लीकेज को मालूम कर शीघ्र उसे ठीक कराने के मकसद से करोड़ों रुपये की लीक डिटेक्शन मशीनें मंगाई गई। मशीनें पिछले साल ही जलनिगम में मंगवाया था, जिसे जलकल विभाग को हस्तांतरित कर दिया गया। फिर भी लीकेज को ठीक होने में कई-कई रोज लग जा रहे हैं। यानी मशीनों का प्रयोग नहीं हो रहा है।
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30 फीसद पानी हो जाता है बर्बाद
शहरियों को हर रोज 280 एमएलडी पानी की जरूरत पड़ती है लेकिन जलकल विभाग विभिन्न स्रोतों से 308 एमएलडी पानी की आपूर्ति करता है। इसमें से करीब 30 फीसद पानी पाइप लाइनों में लीकेज होने, घरों में नलों के खुले होने और सार्वजनिक स्थलों पर लगे नालें से बहने से बर्बाद हो जाता है। अगर इस बर्बादी पर अंकुश लग जाए तो जिन क्षेत्रों में जलसंकट होता है, वहां की समस्या भी दूर हो जाए।
वर्जन----
घरों में गंदे पानी के आने की मुख्य वजह सर्विस कनेक्शन की दिक्कतें हैं। लोग दूसरा कनेक्शन ले लेते हैं और पहला कनेक्शन उसी से जुड़ा रहता है, जिससे इस तरह की समस्या ज्यादा होती है। लीकेज से भी प्रदूषित जलापूर्ति होती है, लेकिन लीकेज ठीक कर दिया जाता है।
- रक्षपाल सिंह, महाप्रबंधक जलकल विभाग।
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हम भी चाहते हैं बदलाव
प्रदूषित जलापूर्ति बड़ी समस्या है। शिकायत पर भी अफसर ध्यान नहीं देते हैं। 24 घंटे पानी मिलने की बात कौन कहे, छह-सात घंटे भी पानी मिलना मुश्किल है।
- जय प्रकाश
गंदा पानी पीने से लोग बीमार हो रहे हैं। बरसात में ये समस्या आम है। कभी-कभी घरों में पानी के साथ बालू और मिट्टी भी आती है।
- मयंक श्रीवास्तव
व्यवस्था में बदलाव होना चाहिए। लीकेज आदि की शिकायत पर त्वरित समाधान होना चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं पा रहा है।
- आशीष वर्मा
कई क्षेत्रों में सुबह-शाम दो-तीन घंटे ही पानी मिल पाता है। ऐसे इलाकों में तड़के उठकर लोग पानी न भर लें तो उन्हें दिनभर पानी के लिए तरसना पड़े।
- अभिषेक कुमार