अब सूचना प्रौद्योगिकी का हब बनेगा ट्रिपल आइटी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) की स्थापना को सोलह साल ह
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) की स्थापना को सोलह साल हो चुके हैं, जो युवा है। इस दौरान संस्थान में दाखिला पाने वाले छात्र-छात्राएं भले ही शोध नहीं कर पाएं, लेकिन संस्थान लगातार प्रयोग करता रहा। कभी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देश पर चला तो कभी डीम्ड यूनिवर्सिटी जैसा परिचय दिया। दो नावों पर सवार होने का नतीजा यह रहा है कि इतने कम वर्षो में ही तमाम मुकदमें न्यायालयों की शोभा बढ़ा रहे हैं। संस्थान ने शहर के लिए तमाम उल्लेखनीय कार्य भी किए हैं, साथ ही उसके कई स्याह पक्ष भी हैं। जिन पर संस्थान के अफसर अक्सर मौन साधे रहते हैं।
ट्रिपल आइटी संस्थान अपने को शुरू से भले ही डीम्ड यूनिवर्सिटी बताता रहा है, पर यहां दो धाराएं एक साथ बहती रही है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के अनुरूप यहां पढ़ाई हुई और लोगों को नौकरी मिली है, वहीं आइआइटी की तर्ज पर भी यहां पढ़ाई और नौकरियां दी गई है। दो तरह के नियमों को अपनाने से कई बार प्रशासनिक अफसरों को विषम स्थितियों से रूबरू होना पड़ा है। यहां पर पहले आइटी, एमबीए जैसे विषयों के डिवीजन थे, जो बाद में विभागों में तब्दील हो गए हैं। अब यहां पर मैनेजमेंट स्टडीज, इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी, एप्लाइड साइंस एवं इलेक्ट्रानिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनिय¨रग जैसे चार विभाग संचालित हैं। इनमें बीटेक में करीब तीन सौ और एमटेक में करीब सौ छात्र-छात्राओं को दाखिला मिलता है।
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इन कार्यो में बनाया मुकाम
संस्थान की ओर से इलाहाबाद शहर के तमाम संस्थानों के अभिलेखों का डिजिटलीकरण किया गया है। इसमें गंगानाथ झा परिसर, नेशनल अकादमी साइंस नासी, ¨हदुस्तान अकादमी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और हाईकोर्ट शामिल हैं। हाईकोर्ट में तो यह प्रक्रिया अब तक जारी है। यहां पर हर साल विज्ञान समागम का आयोजन किया जाता है। इसमें ट्रिपल आइटी ही नहीं देश के कई चुनिंदा संस्थानों के छात्र-छात्राएं अपने प्रयोग के साथ पहुंचते हैं। साथ ही दुनिया भर के नोबेल वैज्ञानिक आते रहे हैं। पहले हर साल पांच-पांच नोबेल वैज्ञानिक आते थे, पिछले साल दो वैज्ञानिक बुलाए गए। बताते हैं कि संस्थान का भवन दुनिया के उम्दा संस्थानों की तर्ज पर बना है। यही नहीं पिछले साल ही यहां पर रोबोटिक्स की पढ़ाई एवं प्रयोग शुरू हुआ है।
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संस्थान का स्याह पक्ष यह भी
ट्रिपल आइटी में मौजूदा शैक्षिक सत्र से विज्ञान समागम आयोजन को बंद करने की तैयारी है। इससे युवाओं को निराश होना पड़ सकता है। यही नहीं संस्थान ने मास्टर इन साइबर लॉ इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी कोर्स को बंद करके उसे दूसरे नाम से कम सीटों के साथ एमटेक में शामिल कर दिया। इससे युवाओं को साइबर क्राइम की बेहतर जानकारी नहीं हो पा रही है। यही नहीं कुछ महीने पहले ही विभाग गठन एवं उसके मुखिया के चयन पर भी सवाल उठे हैं। ऐसे ही यहां पर कई और भी कार्यक्रम भी चल रहे हैं, जिसमें सिर्फ खानापूरी हो रही है यानी उनमें कुछ ही छात्रों ने दाखिला लिया है।
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संस्थान की उन्नति में रोड़े
ट्रिपल आइटी इलाहाबाद समेत देश के चार अन्य प्रबंधन संस्थान को एक दिसंबर 2014 को संसद में अधिनियम पारित करके राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित किया गया है। इससे यह अब डीम्ड यूनिवर्सिटी की तर्ज पर आगे बढ़ सकेगा और आइआइटी जैसी पढ़ाई करा सकता है, लेकिन छह माह बाद भी यहां बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का गठन नहीं हो पाया है। इससे सारी प्रक्रिया यानी नीतिगत निर्णय ठप हैं। यह कब होगा इसका किसी को पता नहीं है।