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बड़े चमत्कार बिना सुधरेंगे नहीं भारत-पाक रिश्ते

जासं, इलाहाबाद : भारतीय विदेश नीति में पाकिस्तान के संबंध में वही नियम नहीं लागू हो सकते हैं जो हमार

By Edited By: Published: Thu, 30 Jul 2015 09:00 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2015 09:00 PM (IST)
बड़े चमत्कार बिना सुधरेंगे नहीं भारत-पाक रिश्ते

जासं, इलाहाबाद : भारतीय विदेश नीति में पाकिस्तान के संबंध में वही नियम नहीं लागू हो सकते हैं जो हमारे अन्य पड़ोसी देशों के संबंध में लागू है, क्योंकि पाकिस्तान एक लालची देश है। यह बात अफगानिस्तान, म्यांमार तथा थाईलैंड में भारत के पूर्व राजदूत रहे विवेक काटजू ने कही। वह गुरुवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा विदेश मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे।

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विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में व्याख्यान देते काटजू ने भारतीय विदेश नीति के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला और भारत व पाक के मध्य अंतर्कलह को आपसी मतभेदों का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान भारत के विशाल भौगोलिक आकार और तीव्र आर्थिक प्रगति से हमेशा आशंकित रहता है जिससे वहां पर और अधिक समस्या उत्पन्न हो सकती है। भारत हमेशा से ही एक खुशहाल, शांत, समृद्ध पाकिस्तान की कामना करता आया है, जो भारतीय विदेश नीति के अनुसार भारत के हित में है। बोले, हमें ये बातें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के कथनों में साफ दिखाई देता है, जो उन्होंने निशान-ए-पाकिस्तान नामक स्थान पर कही थी। काटजू ने साफ कहा कि पाकिस्तान की परमाणु शक्ति को देखते हुए ये समझा जा सकता है कि अशांत पाकिस्तान और खतरनाक साबित होगा। उन्होंने यह भी कहा कि बिना किसी बड़े चमत्कार के भारत और पाकिस्तान के संबंध सुधरने वाले नहीं है। यही बात ऊफा में आयोजित बैठक में भारत और पाकिस्तान के संयुक्त वक्तव्य में कही गई।

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान भारत के साथ बेहतर संबंध बनाए रखने को लेकर गंभीर नहीं है, किंतु भारत को इस दिशा में अपना प्रयास जारी रखना चाहिए। क्योंकि यदि पाकिस्तान ने ऐसा कर दिया तो यह न केवल भारत बल्कि एक बड़े समुदाय के लिए खतरा होगा। काटजू ने ईरान, ईराक, इजरायल और आइएसआइएस के साथ भारत के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस समय सत्तर लाख भारतीय खाड़ी देशों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जो उन देशों के आर्थिक उन्नति में योगदान भी दे रहे हैं।

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एनआर फारुकी ने भारत की तीन प्रमुख विदेश नीतियां सीमा सुरक्षा, स्थायी लोकतंत्र और आर्थिक उन्नति के बारे में बताया। प्रो. आरके सिंह ने मेहमानों का स्वागत किया। प्रो. आरके खन्ना ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर प्रो. संजीव भदौरिया, रजिस्ट्रार प्रो. बीपी सिंह, प्रो. एमएल सिंह, प्रो. एससी दुबे, प्रो. जे पुरवार, प्रो. एसके शर्मा, प्रो. आरके चौबे, प्रो. एचएन तिवारी, प्रो. मोहम्मद असलम, प्रो. शेखर अधिकारी, प्रो. जगदंबा सिंह, प्रो. आरके उपाध्याय आदि थे।


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