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गंगा दशहरा पर गंगा में समा गया छात्र

फाफामऊ, इलाहाबाद : शिवकुटी के गंगा घाट पर गुरुवार की सुबह गंगा में स्नान के लिए आया गौरव अवस्थी नाम

By Edited By: Published: Fri, 29 May 2015 01:02 AM (IST)Updated: Fri, 29 May 2015 01:02 AM (IST)
गंगा दशहरा पर गंगा में समा गया छात्र

फाफामऊ, इलाहाबाद : शिवकुटी के गंगा घाट पर गुरुवार की सुबह गंगा में स्नान के लिए आया गौरव अवस्थी नाम का एक युवक पानी में समा गया। मौके पर मौजूद छोटा भाई उसको बचाने की गुहार लगाता रहा मगर कोई मदद को नहीं आया। गौरव सुबह ही हरदोई से यहां आया था। उसके डूबने की सूचना पाकर पहुंची शिवकुटी पुलिस ने उसकी तलाश में गोताखोरों को नदी में उतारा, मगर घंटों की खोजबीन के बाद भी उसका कुछ पता नहीं चला।

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हरदोई जिले के ताली थानांतर्गत पाली गांव में रहने वाले विजय प्रकाश अवस्थी एक निजी स्कूल में शिक्षक हैं। उनके तीन पुत्रों में सबसे बड़ा राहुल यहां फाफामऊ में किराए का कमरा लेकर रहता है और आइईआरटी में मैनेजमेंट का कोर्स कर रहा है। मझला भाई गौरव हरदोई में बीएससी अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रहा है और सबसे छोटा उदय बड़े भाई राहुल के साथ रहता है। उसने इसी वर्ष इंटर की परीक्षा उतीर्ण की है। गौरव सुबह अपनी बुआ के लड़के प्रदीप मिश्र के साथ बड़े भाई के पास सामान पहुंचाने आया था। कमरे पर वह आया तो राहुल ने उससे कुछ खाने को कहा। इस पर गौरव ने कहा कि आज गंगा दशहरा है। वह गंगा स्नान करने के बाद ही कुछ खाएगा। गंगा स्नान के लिए वह अपने साथ उदय और प्रदीप को भी लेकर शिवकुटी की ओर चला गया। सुबह लगभग 10 बजे नहाते वक्त वह तेज धारा में फंस गया। उसे नदी में डूबता देख उदय और प्रदीप ने बचाव की गुहार लगाई, मगर वहां उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। दो छोटे भाइयों की आंखों के सामने ही गौरव पानी में समा गया। दोनों ने कमरे पर आकर राहुल को सारी बात बताई। राहुल ने शिवकुटी थाने जाकर पुलिस से मदद मांगी। पुलिस ने गौरव की तलाश में गोताखोरों को नदी में उतारा मगर उसका कुछ पता नहीं चला।

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सर, क्या मुंह लेकर जाएंगे घर

इलाहाबाद : छोटे भाई के नदी में डूब जाने का पता चलते ही राहुल बदहवास हो गया। वह आनन-फानन में शिवकुटी पुलिस के पास पहुंचा। गोताखोर नदी में उतरे तो उसको पूरी उम्मीद थी कि वह उसे थोड़ी देर में ढूंढ निकालेंगे मगर जैसे-जैसे शाम ढलती गई उसकी आस का दीपक भी बुझता गया। गोताखोर अंधेरा होने की बात कहकर नदी से बाहर निकल आए तो राहुल की आंखों से आंसू छलक उठे। रूंधे गले से वह कह रहा था-'सर, क्या मुंह लेकर जाएंगे अब घर। मां-बाप को क्या बताएंगे। गोताखोरों ने दस हजार रुपये मांगे थे। इंतजाम कर चार हजार रुपये उनको दिए। फिर भी वह उसे नहीं तलाश पाए।


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