'हर संस्कृति अपनाने से आएगी सांस्कृतिक समृद्धि'
जासं, इलाहाबाद : भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें अनेक सांस्कृतिक विरासत समाहित है। अनेक वंश
जासं, इलाहाबाद : भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जिसमें अनेक सांस्कृतिक विरासत समाहित है। अनेक वंशज अपनी विरासत लेकर यहां आकर बस गए। समाज ने सबको स्वीकार कर उचित सम्मान दिया। जरूरत है कि वह परंपरा आगे भी कायम रहे। विश्व विविधता दिवस गुरुवार को इलाहाबाद संग्रहालय में आयोजित सेमिनार में प्रो. विमलचंद्र शुक्ल ने बतौर मुख्य अतिथि उक्त विचार व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि जनजातीय संस्कृति का भी अपना विशेष महत्व है, लेकिन समाज के अधिकतर लोग उससे स्वयं को जोड़ नहीं पाए हैं। यही कारण है कि चाहकर भी उनके करीब नहीं आ पाए हैं। हम जितना उनसे स्वयं को जोड़ेंगे, उतना ही उनके करीब आएंगे।
संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित ने कहा कि हमारे बीच जनजाति, लिंग एवं आर्थिक विविधताएं हैं। जरूरत है सबमें एकता स्थापित करने की। हम दूसरी संस्कृति को जितना अपनाएंगे, उतना ही उसके करीब जाएंगे। सबको साथ लेकर चलने पर ही भारतीय संस्कृति समृद्ध होगी। जाति, धर्म, वर्ण-भेद, भाषा एवं रहन-सहन को लेकर कहीं कोई विवाद नहीं होना चाहिए। प्रो. आरके टंडन ने कहा कि भारतीय संस्कृति विविधता को स्वीकार करने वाली है। इसको लेकर हमारा प्राचीनकाल से लेकर अभी तक का गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। शैलेंद्र कपिल ने सांस्कृतिक विरासत को जोड़ते हुए अनेक संस्कृतियों पर प्रकाश डाला।