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विनोद बी लाल व अलवन मसीह को राहत

जासं, इलाहाबाद : शियाट्स के प्रति कुलपति विनोद बी लाल और अलवन मसीह को हाईकोर्ट से राहत मिल गई। धोखाध

By Edited By: Published: Thu, 21 May 2015 01:04 AM (IST)Updated: Thu, 21 May 2015 01:04 AM (IST)
विनोद बी लाल व अलवन मसीह को राहत

जासं, इलाहाबाद : शियाट्स के प्रति कुलपति विनोद बी लाल और अलवन मसीह को हाईकोर्ट से राहत मिल गई। धोखाधड़ी के एक मामले में विनोद व अलवन समेत उनके छह सहयोगियों के खिलाफ वारंट जारी किया गया था। बुधवार को उनके अधिवक्ता एसए नकवी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रिजवान अहमद की कोर्ट में उच्च न्यायालय का एक आदेश दाखिल किया जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है।

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विनोद बी लाल समेत छह अन्य के खिलाफ जनवरी माह में लखनऊ में रहने वाले राकेश मैसी ने करोड़ों के गबन का आरोप लगाया था। इस संबंध में सभी आरोपियों के खिलाफ सिविल लाइंस थाने में रिपोर्ट दर्ज की गई थी। मुकदमे की सुनवाई करते हुए पखवाड़ा पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रिजवान अहमद ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी करने का आदेश दिया था।

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दहेज हत्या में पति को उम्रकैद

इलाहाबाद : शिवकुटी इलाके में रहने वाले शैलेश कुमार को दहेज के लिए पत्‍‌नी को मार डालने के आरोप में उम्र कैद व जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह सजा सुनाते हुए विशेष न्यायाधीश राघवेंद्र ने विवाहिता की हत्या मामले में उसके ससुर कैलाश शंकर व देवर मनीष गुप्ता को भी दोषी पाते हुए उन दोनों को भी तीन-तीन वर्ष की कैद व जुर्माने से दंडित किया है।

अभियोजन के अनुसार विवाहिता नेहा वैश्य उर्फ रश्मि को दहेज में अल्टो कार लाने के लिए 19 अगस्त 2008 को मारापीटा गया फिर फांसी के फंदे पर लटका दिया गया था। अभियोजन ने गवाहों शिव प्रसाद, फूलचंद्र, भूपेंद्र नाथ श्रीवास्तव, जितेंद्र कुमार, आशुतोष मिश्र और घनश्याम चौरसिया के माध्यम से आरोप साबित किया। जिस पर फैसला लिया गया।

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झूठ निकला लेखपाल का आरोप

इलाहाबाद : उतरांव इलाके के लेखपाल लालूराम ने चार अप्रैल 1986 को क्षेत्र के ही ज्ञान सिंह नाम के व्यक्ति पर उसे चप्पल से पीटने का आरोप लगाया था। लेखपाल का यह भी कहना था कि पिटाई से उसका एक दांत टूट गया था। इस मामले में गवाही देने आए लेखपाल हरिहर नाथ ने बताया कि उसके सामने ऐसी कोई घटना नहीं हुई। इस पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अवधेश कुमार ने आरोपी को बरी किया वहीं 29 साल पुरानी पत्रावली दाखिल दफ्तर की है।


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