जर्जर भवनों में फंसी नौनिहालों की जान
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भूकंप के झटकों ने नेपाल के साथ भारत को हिला दिया। इसके चलते देशभर में हड़
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : भूकंप के झटकों ने नेपाल के साथ भारत को हिला दिया। इसके चलते देशभर में हड़कंप मचा हुआ है। भविष्य में ऐसी त्रासदी से निपटने के लिए तरह-तरह की योजनाएं बन रही हैं। शासन के निर्देश पर जर्जर इमारतों की पहचान हो रही है, लेकिन किसी का ध्यान बेसिक स्कूलों की जर्जर इमारतों की ओर नहीं जा रहा, जहां नौनिहाल जिंदगी व मौत के बीच अपना समय बिता रहे हैं। अधिकांश परिषदीय विद्यालय ऐसे हैं जिनकी छत अत्यंत जर्जर हो चुकी है। बारिश के मौसम में पानी टपकता है। दीवारें फट चुकी हैं और प्लास्टर गिर रहा है। ऐसे में अगर भूकंप आता है तो हजारों नौनिहालों की जान खतरे में पड़ सकती है।
जिले में 2477 प्राइमरी व 1001 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। शासन ने 2006 में सभी स्कूलों को भूकंपरोधी बनाने का आदेश दिया था, जो विद्यालय पहले बन चुके थे, वहां एक कक्ष भूकंप रोधी बनाया जाना था। जबकि 2006 के बाद बनने वाले सभी नए स्कूलों का पूरा भवन भूकंपरोधी तकनीक से निर्मित करने को कहा गया। लेकिन हर आदेश की तरह उसे भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया गया। आज तक कहीं भी भूकंपरोधी कक्ष नहीं बना। आदेश आने के बाद जिले में पांच सौ से अधिक नए भवन बने, परंतु कभी भी भूकंपरोधी मानक का ध्यान नहीं दिया गया। स्थिति यह है कि नए भवनों में सालभर बाद भी पानी टपकने लगता है। कइयों की नींव ही ठीक से नहीं भरी जाती। किराए के भवनों पर चलने वाले स्कूलों की दशा तो और बदतर है। हालांकि बेसिक शिक्षा अधिकारी राजकुमार का दावा है कि शासन का आदेश आने के बाद सारे भवन भूकंपरोधी बने हैं, वह विद्यालय कहां-कहां है, उसे बताने में असमर्थ हैं। कहते हैं उसका पता लगाकर जानकारी दी जाएगी।
-------
इनसेट
यह हैं भवन के मानक
-स्कूल की छत आरसीसी की बनी हो।
-कमरे के चारों पिलर में सरिया पड़ी हों।
-खिड़की दरवाजों के ऊपर बीम पड़ी हों।