मौसम बना खलनायक, अपनों से कटा संपर्क
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : नेपाल में धरती डोली तो जिंदगी का घरौंदा तिल-तिल कर बिखर गया। घर-गृहस्थी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : नेपाल में धरती डोली तो जिंदगी का घरौंदा तिल-तिल कर बिखर गया। घर-गृहस्थी उजड़ी, अनेकों का जीवन असमय काल के गाल में समा गया। पेट की आग बुझाने के लिए अपनों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर रोजी-रोटी की आस में आए लोग अपनों की चिंता में व्याकुल हैं। घर-गृहस्थी तबाह होने के बाद अब मौसम की बेरूखी से उनका अपनों से संपर्क नहीं हो पा रहा है। पहले मोबाइल के जरिए यहां रहने वाले लोग लोग अपनों का हालचाल ले रहे थे, लेकिन इधर दो दिनों से आंधी व बारिश के चलते संचार व्यवस्था भी ध्वस्त हो गई। इसके चलते किसी से बात भी नहीं हो पा रही है। अपनों की याद में तड़प रहे लोगों की भूख-प्यास गायब है, जबकि कुछ लोग नेपाल रवाना हो चुके हैं।
मूल प्रवाह अखिल भारत नेपाली एकता समाज के अध्यक्ष खिमानंद न्यौपाने का गांव श्रीकृष्ण गंगाजी भूकंप की भेंट चढ़ गया। इनका पूरा परिवार सड़क पर सड़क आ गया है, इनकी चिंता 80 वर्षीय मां मनकुमारी को लेकर है। कहते हैं कि हमारा परिवार सड़क पर गुजर बरस कर रहा है, 'पहले मोबाइल से हालचाल मिल जाता था, लेकिन अब बात भी नहीं हो पा रही है।' वहीं संचार सेवा ध्वस्त होने से परेशान होटल में बावर्ची का काम करने वाले सुरेंदर थापा, ट्रेवेल्स एजेंसी में एकाउंटेंट रमा बहादुर 'साथी' एवं रेलवे में कार्यरत विकास अपनों की मदद करने के लिए नेपाल रवाना हो गए। यहां से कुछ और लोग नेपाल जाने की तैयारी में हैं, परंतु उन्हें अनुमति नहीं मिल रही है। कनेरडारा निवासी रामबहादुर थापा कहते हैं 'हमारी जिंदगी बेहद कठिनाई से गुजर रही है। अपनों से दूर रहने के बावजूद हम न ठीक से सो पा रहे हैं, न खाना खा रहे हैं। हमारी नींद, भूख व प्यास गायब है, हम अपनों के पास जाना चाहते हैं परंतु उन्होंने हमें रोक रखा है।'