पुराने भवन भी बन सकते हैं भूकंपरोधी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : समय की मांग है कि नए भवनों को भूकंपरोधी तकनीक से बनाया जाए। जिनके भवन पु
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : समय की मांग है कि नए भवनों को भूकंपरोधी तकनीक से बनाया जाए। जिनके भवन पुराने हैं वे निराश न हों, उन्हें भी भूकंपरोधी बनाया जा सकता है। उस तकनीक का नाम है रि-इनफोर्समेंट। इसके जरिए सिविल इंजीनियर की मदद लेकर लोग अपने घर को 'सुरक्षा चक्र' प्रदान कर सकते हैं। इससे भवन की सूरत भी नहीं बिगड़ेगी और सुरक्षित भी रहेंगे।
भू एवं ग्रहीय विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रो. जेएन त्रिपाठी ने बताया कि लोग थोड़ी सी लापरवाही करते हैं। लाखों की जमीन लेते हैं और उस पर बड़ी रकम खर्च करके भव्य भवन बनाते हैं, लेकिन न जाने क्यों नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) का उपयोग नहीं करते हैं। इस कोड का प्रयोग करते ही उनका मकान भूकंपरोधी होगा और वह व उनका परिवार सुरक्षित रहेगा। सब ऐसा करेंगे तो भूकंप जैसी आपदा आने पर नुकसान कम होगा।
मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के सिविल इंजीनिय¨रग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. एके दुग्गल ने बताया कि नया भवन बनाते समय, टूटे भवन को संवारते समय या फिर जर्जर भवन को भी भूकंपरोधी आसानी से बनाया जा सकता है। बस इसमें तकनीक के जानकार की मदद लेनी होगी।
बोले, पुराने भवन को भूकंपरोधी बनाने के लिए समानांतर दीवारों पर चैनल लगाकर उसे बनाया जाना चाहिए। यह क्रम भवन की सभी दीवारों पर प्रयोग करना होगा। बोले, दीवारों में अधिक लोड लेने की क्षमता आ जाएगी और भूकंप आदि आने पर लोग सुरक्षित रह सकेंगे।