भूकंप (1) मध्य गंगा क्षेत्र में भी भूकंप का खतरा
धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद : यह खबर आपको डराने के लिए नहीं है, बल्कि यह बताने के लिए है कि अब भी समय है
धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद : यह खबर आपको डराने के लिए नहीं है, बल्कि यह बताने के लिए है कि अब भी समय है चेत जाएं। दरअसल बेहद सुरक्षित माने जाने वाला गंगा का मैदानी क्षेत्र भी भूकंप की जद में आ गया है। इस 'बिग जोन' के एल्युवियम स्वायल (भूरी-भूरी मिट्टी) की सतह पर कई भ्रंश हैं जिनके सक्रिय होने पर हिमालय क्षेत्र से आने वाली भूकंपीय तरंगे सतह को प्रभावित कर सकती हैं।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भू एवं ग्रहीय विज्ञान विभाग की गेस्ट फैकल्टी डा. चंद्रशेखर सिंह ने शनिवार को जागरण से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी। इस बारे में उनका शोध पत्र 'द जियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया' के अप्रैल 2015 के अंक में छपा है। डा. सिंह ने भूकंप के लिहाज से कानपुर से लेकर पटना तक धरती के अंदर होने वाली गतिविधियों का अध्ययन किया है। इस क्षेत्र में यह धारणा रही है कि यहां भूकंप का खतरा नहीं के बराबर है, लेकिन हाल में ही इस क्षेत्र को भूकंप के लिहाज से जोन तीन में शामिल किया गया है। डा. सिंह कहते हैं कि 'वीक जोन्स' (कमजोर क्षेत्र) की नियमित देखरेख होती रहनी चाहिए। साथ ही जो निर्माण हों, उसमें भूकंपरोधी मानक का ख्याल रखा जाय।
कम हो सकती है तीव्रता
अपने अध्ययन के मद्देनजर डा. सिंह यह भी कहते हैं कि इंडो गैंगटिक प्लेन में एल्युवियम सतह होने के कारण भूकंप की तीव्रता कम हो सकती है। इसकी वजह भी वह बताते हैं। कहते हैं कि इस पंट्टी में एल्युवियम स्वायल धरती के कंपन को कम करने का काम करता है। डा. सिंह यह भी बताते हैं कि भूकंप आने की मियाद नहीं बताई जा सकती, जिस दिन यह तय हो जाएगा कि आखिर कब और कहां भूकंप आएगा तो होने वाला नुकसान काफी कम हो जाएगा। मध्य गंगा क्षेत्र को लेकर उनका यह अनुमान भी है कि घनी आबादी वाले क्षेत्र में रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता छह के आसपास हो सकती है।
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यूपी में कब-कब आया भूकंप
स्थान तिथि तीव्रता
यूपी बिहार सीमा 7 अक्टूबर 1920 5.5
रायबरेली-सुल्तानपुर 6 नवंबर 1925 6.0
बुंदेलखंड पश्चिमी 10 अक्टूबर 1956 6.2
मुरादाबाद-रामपुर 15 सितंबर 1966 5.8
गौतमबुद्ध नगर 18 अक्टूबर 2007 3.6
नोट - इसके अलावा छिटपुट झटके भी आते रहे हैं।