'संस्कारवान मनुष्य बनाते हैं लोकतंत्र को मजबूत'
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : संस्कारवान मनुष्य ही लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं। कोई देश अपनी उपस्थिति,
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : संस्कारवान मनुष्य ही लोकतंत्र को मजबूत बनाते हैं। कोई देश अपनी उपस्थिति, अपनी पहचान केवल भूमि के टुकड़े के बल पर बना नहीं सकता है। इसके लिए वे लोग मुख्य होते हैं, जिनसे राष्ट्र संचालित होता है। उक्त बातें बनारस ¨हदू विवि के कुलपति प्रो. जीसी त्रिपाठी ने कही। वह रविवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग में चल रहे दो दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। भारतीय लोकतंत्र की बदलती गतिशीलता विषय के सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने उन पहलुओं की जानकारी दी, जिससे लोकतंत्र के सामने की चुनौतियों को किस तरह अवसर में बदला जा सकता है। वहीं प्रो.आरपी पाठक ने कहा कि समाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को सफलता मिलने पर ही लोकतंत्र की सफलता सुनिश्चित हो सकेगी। डा. प्रभाकरण ने कहा कि प्रश्नकाल बहुत ही महत्वपूर्ण होता है, जहां मुद्दों पर विचार व्यक्त किया जाता है, जिसकी समाज निर्माण में अहम भूमिका होती है। प्रो. सत्यनारायण ने लोकतंत्र में पंचायतों की भूमिका पर प्रकाश डाला। समापन सत्र की अध्यक्षता प्रो. जनक पांडेय ने की। सत्र की शुरुआत एमपी दुबे के सम्मान से हुई। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों में केंद्रीयकरण की प्रवृति बढ़ी है, समझौता खत्म हो गया। भारतीय लोकतंत्र में सुधार लाना है तो चुनाव व्यवस्था में सुधार किए जाने की आवश्यकता है।