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'कलाकारों को फिर दिलाना है सम्मान'

धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद हमें और आपको 600 साल पहले देश की सत्ता में रहने वाले शासक का नाम मुश्किल

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 01:00 AM (IST)
'कलाकारों को फिर दिलाना है सम्मान'

धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद

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हमें और आपको 600 साल पहले देश की सत्ता में रहने वाले शासक का नाम मुश्किल से याद आएगा, लेकिन कबीर, सूर, तुलसी, बिहारी, रहीम, रसखान और विवेकानंद सबके जेहन में पहले भी थे और आज भी हैं। यह सब होने के बाद भी मौजूदा दौर में प्रोफेसर, इंजीनियर, डाक्टर की तुलना में कलाकार हाशिए पर पहुंच गए हैं। उत्तर भारत के लोग नाटक देखने के लिए टिकट नहीं खरीदते। इसके लिए सिर्फ समाज ही दोषी नहीं है, बल्कि कलाकार खुद की करनी से ही भिखारी हो गया है। कलाकारों को सम्मान फिर से वापस दिलाना है। संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष पद्मश्री शेखर सेन ने 'दैनिक जागरण' के साथ संगीत व नाटक से जुड़े कलाकारों पर खुलकर बातचीत की। प्रस्तुत हैं प्रमुख अंश..।

जागरण : आपकी प्राथमिकता क्या है?

सेन : अकादमी का कार्य शोध एवं लुप्त हो रही संस्कृति एवं परंपराओं को बचाने का है। उत्तर प्रदेश में कजरी, चैती, आल्हा, ठुमरी, तबला एवं नृत्य के कई घराने हैं। इन्हीं को और समृद्ध करना है। शहनाई, संतूर व सरोद वादन परंपरागत कलाकारों के परिजन ही कर रहे हैं।

जागरण : इसके लिए कौन दोषी है और आप इसे कैसे रोकेंगे?

सेन : इसके लिए कलाकार और समाज दोनों दोषी हैं। समाज ने कलाकार को हाशिए पर डाल दिया। वहीं कलाकारों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं किया। वह कलाकारों को फिर सम्मान दिलाएंगे।

जागरण : फिल्मों ने नाटक व परंपरागत संगीत का नुकसान किया?

सेन : किसी दूसरे को दोष देना ठीक नहीं है। कलाकार मंचों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं तो फिल्मों को क्यों दोष दें।

जागरण : आप भी फिल्मों में गए, खास कोई वजह?

सेन : 1981 में फिल्मों में संगीतकार बनने मुंबई गया था, लेकिन कुछ ही दिन में जान गया कि ये दुनिया मेरे काम की नहीं। इसमें किसी एक की प्रतिभा का कोई मायने नहीं। इसलिए भारतीय संस्कृति के प्रतिनिधियों का किरदार करता हूं।

जागरण : प्रयाग के बारे में आपके मन में क्या धारणा है?

सेन : शिक्षा का यह बहुत बड़ा तीर्थ रहा है। धर्मवीर भारती एवं दुष्यंत कुमार जैसे शख्स यहां पढ़े हैं और फिराक गोरखपुरी और हरिवंशराय बच्चन जैसे यहां शिक्षक रहे हैं। यह 'निराला' शहर है, जहां प्रतिभाओं की खान है।

जागरण : भारतीय संस्कृति को जीने के कारण आप अकादमी के अध्यक्ष बने?

सेन : मेरा चयन क्यों और कैसे हुआ है, मैं नहीं जानता।

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कई राज्यों ने नहीं भेजा प्रतिनिधि

इलाहाबाद : संगीत नाटक अकादमी का गठन चल रहा है। इसके लिए हर राज्य से एक ऐसे शख्स को प्रदेश सरकार बतौर प्रतिनिधि नामित करती है जो पूरे प्रदेश का प्रतिनिधित्व करे। संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष सेन ने बताया कि छह माह हो गए हैं अब तक उत्तर प्रदेश ने अपना प्रतिनिधि नहीं भेजा है। बिहार, उत्तराखंड, मेघालय, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, गुजरात आदि ने भी प्रतिनिधि भेजने में रुचि नहीं दिखाई।


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