सुर व ताल का हुआ समागम
जासं, इलाहाबाद : प्रयाग संगीत समिति में चल रहे 54वें अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन के अंतिम दिन कलाकारों
जासं, इलाहाबाद : प्रयाग संगीत समिति में चल रहे 54वें अखिल भारतीय संगीत सम्मेलन के अंतिम दिन कलाकारों ने समां बांधा। शनिवार की शाम मेहता प्रेक्षागृह में कलाकारों ने सितार, तबला, बांसुरी की मन मोहक प्रस्तुति कर दर्शकों को भावविभोर कर दिया। वृंदा अग्नि ने रूपक और तीन ताल में सितार वादन किया। इनकी उपशास्त्रीय धुन ताल कहरवा को खूब पसंद किया गया। मास्टर अरुण मिश्र ने तीन ताल में विलबिंत मध्य एवं द्रुत लय में चलन, गत, कायदा, रेला, गते एवं टुकड़ों में तबला का मोहक वादन किया।
अजय प्रसन्ना ने बांसुरी की ऐसी तान छेड़ी की श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। उन्होंने 'होली खेलत नंद लाल' के जरिए फाल्गुनी बयार बहा दी। कथक नृत्यांगना नम्रता राय ने 'जय-जय जग जननी देवी, मोरी आशा डूबी जाए श्याम मोरा नहीं आये व सूफी संगीत माई नी माई मैं किंनू अक्खन दर्द बिछौरा दा यार मी' पर मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. मधु शुक्ला व सुनील गुप्त ने किया। सचिव अरुण कुमार ने स्वागत व कोषाध्यक्ष आदित्य नारायण ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।