मानवाधिकार आयोग ने डीएम को सौंपी
जासं, इलाहाबाद : सामाजिक एकता परिषद की महिलाओं को करीब डेढ़ वर्ष बाद न्याय की उम्मीद जगी है। उन पर ह
जासं, इलाहाबाद : सामाजिक एकता परिषद की महिलाओं को करीब डेढ़ वर्ष बाद न्याय की उम्मीद जगी है। उन पर हुए पुलिस के बर्बर लाठीचार्ज की जांच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी को सौंपी है। सर्वोदय मंडल ने पुलिस की जांच को नकार कर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से मामले की शिकायत की थी।
28 अगस्त 2013 को इलाहाबाद के मंडलायुक्त निवास पर महिला सुरक्षा के लिए सामाजिक एकता परिषद की महिला प्रकोष्ठ की संयोजिका ऋतंधरा मिश्रा की अगुवाई में महिलाएं ज्ञापन सौंपने गई थीं। प्रो. अनीता गोपेश, साहित्यकार उर्मिला जैन, अधिवक्ता सुभाष राठी आदि के साथ छात्र भी थे। आयुक्त निवास गेट पर ज्ञापन देने के लिए महिलाएं कमिश्नर का इंतजार कर रही थी, तभी कर्नलगंज के सीओ ने उन पर लाठीचार्ज करा दिया था। पुलिस की यह बर्बरतापूर्ण कार्रवाई उस समय अखबारों की सुर्खियां बनी थी। सर्वोदय मंडल के सदस्य रवींद्र सिंह चौहान ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से इसकी शिकायत की थी, जबकि पुलिस ने आयोग को भेजी रिपोर्ट में घटना को पूर्णतया नकार दिया था। चौहान ने मामले में पुलिस की ओर से भेजी गई रिपोर्ट को गलत बताते हुए निष्पक्ष जांच कराने के लिए आयोग से गुजारिश की थी। सामाजिक एकता परिषद के अध्यक्ष ओम प्रकाश शुक्ल ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने जिलाधिकारी इलाहाबाद को इस मामले की जांच सौंपी है। जिलाधिकारी के निर्देश पर आइएएस हर्षिता माथुर ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है।