शोहरत बनानी पड़ती है
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शोहरत यूं ही नहीं मिलती, पहचान स्वयं बनानी पड़ती है। इसमें न किसी का नाम
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शोहरत यूं ही नहीं मिलती, पहचान स्वयं बनानी पड़ती है। इसमें न किसी का नाम काम आता है, न बड़ा शहर। आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा व जुनून है तो सफलता कदम चूमेगी। नहीं तो फिल्म स्टार के घर पैदा होना भी काम नहीं आता।
पद्मश्री फिल्म अभिनेता ओमपुरी ने यह बातें कही। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में जेड टू जेड मीडिया प्रा. लि. द्वारा आयोजित फिल्म फेस्टिवल में शिरकत करने आए ओम पुरी का कहना है छोटे शहरों में प्रतिभा की कमी नहीं है, जरूरत है उन्हें सही प्लेटफार्म उपलब्ध कराने की। यह अवसर थियेटर के जरिए मिल सकता है। सही मायने में थियेटर फिल्मों की मां के समान है। जहां कलाकार अभिनय की हर विधा से रूबरू होता है।
थियेटर के गिरते स्तर पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज सिर्फ पैसे वाले लोग ही इसमें भाग ले सकते हैं। पैसे के अभाव में छोटा कलाकार इससे दूर हो रहा है और बड़े अभिनेता इसमें रुचि नहीं लेते। इससे स्थिति बिगड़ रही है। सरकार को थियेटर के सुधार की दिशा में काम करने की जरूरत है। ओम पुरी ने कहा इलाहाबाद गुणों से भरा शहर है। फिल्म फेस्टिवल होने से यहां के कलाकारों को नया प्लेटाफर्म मिलेगा। देश के बड़े-बड़े डायरेक्टर यहां आने को विवश होंगे। स्वयं को पद्मश्री कहने का विरोध करते हुए कहा कि यह सम्मान आज फेंके जा रहे हैं, इसलिए इसका कोई मायने नहीं रह गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह दाल व सब्जी के दाम तो नहीं कम करा पाए, परंतु सफाई अभियान जरूर शुरू कर दिया। आप भी इसमें सहयोग करें। कहा कि भाजपा मनमानी न करे, इसके लिए भगवान ने 'आप' को भेजा है। फिल्म फेस्टिवल के संयोजक हसन हैदर ने ओमपुरी को लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया।