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लॉरेंस ब्रैग से प्रेरणा लें युवा : प्रो. जोशी

जासं, इलाहाबाद : युवाओं को भौतिकी की दुनिया के पुरोधा लॉरेंस ब्रैग की खोजों से प्रेरणा लेनी चाहिए। ए

By Edited By: Published: Fri, 16 Jan 2015 07:45 PM (IST)Updated: Fri, 16 Jan 2015 07:45 PM (IST)
लॉरेंस ब्रैग से प्रेरणा लें युवा : प्रो. जोशी

जासं, इलाहाबाद : युवाओं को भौतिकी की दुनिया के पुरोधा लॉरेंस ब्रैग की खोजों से प्रेरणा लेनी चाहिए। एक्सरे क्रिस्टिलोग्राफी के विकास के क्रम में विलियम और लॉरेंस ब्रैग (पिता-पुत्र) की जोड़ी ने एक्सरे का पदार्थो के क्रिस्टल संरचना को जानने में प्रयोग किया। उनकी इस खोज के लिए ब्रैग जोड़ी को 1915 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया। उस वक्त लॉरेंस ब्रैग महज 25 साल के थे। यह बात विख्यात भौतिक विज्ञानी पद्म भूषण प्रो. श्रीकृष्ण जोशी ने शुक्रवार को इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिकी विभाग में प्रो. मेघनाथ साहा मेमोरियल व्याख्यान में कही।

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'एक्सरे क्रिस्टिलोग्राफी के सौ वर्ष' विषय पर बोलते हुए प्रो. जोशी ने कहा कि वर्तमान वर्ष क्रिस्टिलोग्राफी का शताब्दी वर्ष है। उन्होंने विषय के महत्व को भी रेखांकित किया। प्रसिद्ध वैज्ञानिक मैक्सवान लवे से लेकर विलियम एवं लॉरेंस ब्रैग से होते हुए उन्होंने समकालीन भारतीय मूल के नोबल पुरस्कार विजेता रामाकृष्णन के योगदान पर प्रकाश डाला। प्रो. जोशी ने क्रिस्टिलोग्राफी के विकास में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञानी प्रो. केदारेश्वर बनर्जी के कार्बनिक क्रिस्टिल पर किए महत्वपूर्ण शोध कार्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1933 में किया गया शोध बाद में प्रो. हरबर्ट हैपमैन और कारले को दिए गए नोबल पुरस्कार की नींव बना। प्रो. बनर्जी ने प्रो. सीवी रमन के साथ शोध कार्य किया। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय में ग्लासेज, पॉलीमर्स और अमॉफिस पदार्थो पर कार्य किया जो बाद में बेहद महत्वपूर्ण पदार्थ सिद्ध हुए। उसके बाद ही एक्सरे डिफ्रेक्शन का प्रयोग डीएनए की संरचना जानने के लिए किया गया। इस कार्य के लिए प्रसिद्ध वैज्ञानिक वाटसन और फिक्र को नोबल दिया गया। यह जीव विज्ञान की बीसवीं शताब्दी में की गई महत्वपूर्ण खोज कही जाती है। इसके पूर्व प्रो. जोशी का विभागाध्यक्ष प्रो. रंजना प्रकाश ने स्वागत किया। संयोजक प्रो. आरआर यादव ने आभार जताया। इस मौके पर प्रो. एके मित्तल, प्रो. विनोद प्रकाश, प्रो. हरि प्रकाश, प्रो. रामगोपाल, प्रो. केके भूटानी, प्रो. राम कृपाल, प्रो. बीके अग्रवाल, डा. केएन उत्तम आदि मौजूद थे।


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