¨हदी भाषियों के लिए बना था कटरा चर्च
जासं, इलाहाबाद : सुगंधित और आकर्षक फूलों के बीच स्थित कटरा चर्च अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यह
जासं, इलाहाबाद : सुगंधित और आकर्षक फूलों के बीच स्थित कटरा चर्च अपनी खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है। यह एकमात्र ऐसा स्थल है, जहां आराधना के साथ लोगों के व्यक्तित्व का विकास भी कराया जाता है। अपने समय का यह काफी भव्य चर्च माना जाता था, क्योंकि तब कटरा में न तो भीड़-भाड़ थी और न ही इतने मकान व दुकानें। कटरा चर्च भारतीयों (¨हदी भाषियों) की प्रार्थना के लिए बना था, यहां हर वर्ग के लोगों को जाने की अनुमति थी। चर्च निर्माण को लेकर अमेरिकन प्लसबेटिरियल मिशन नामक संस्था ने 1877 में मसीही समुदाय के धर्माचार्यो को एकत्रित करके समूह बनाया। फिर 1900 में चर्च की नींव रखी गई जो एक वर्ष में तैयार हुआ। देश के गुलाम रहने तक यहां अंग्रेज पादरी बनते थे। परंतु आजादी के बाद 1950 से भारतीय ईसाइयों को भी पादरी बनाया जाने लगा।
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धार्मिक एकता की प्रतिमूर्ति थे पादरी तिवारी
चर्च की नींव पादरी ब्रेव फील्ड ने रखी व पहले पादरी बने। चर्च में ¨हदी बोलने वाले पहले पादरी रल्लाराफ थे। डीडब्ल्यू तिवारी 38 साल तक यहां पादरी रहे। इनका कार्यकाल 1933 से 1971 तक था। इनकी गिनती सबसे लंबे समय तक पादरी रहने वालों में होती है। यह एकमात्र ऐसे पादरी थे जिन्हें हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म की मर्मज्ञता हासिल थी।
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फोटो--व्यक्तित्व का होता है विकास : मनीष
कटरा चर्च के पादरी मनीष गुंजन जैदी कहते हैं कि हमारा जोर लोगों के व्यक्तित्व के विकास पर होता है। हम लोगों को मानवता का पाठ पढ़ाते हैं। यह कक्षा प्रतिदिन चर्च में चलती है सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें हर जाति, धर्म के दो दर्जन से अधिक बच्चे भी शामिल होते हैं।
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कैरल सिंगिंग की धूम
कटरा चर्च में क्रिसमस की खुशियां अभी से शुरू हो गई हैं। चर्च में शाम को कैरल सिंगिंग का आयोजन किया जा रहा है। इसमें भारी संख्या में मसीही समुदाय के साथ दूसरे धर्म के लोग जुटते हैं।