जलीय जंतुओं व पक्षियों की मौत की वजह बताएगा इविवि
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : त्रिवेणी के तट पर तमाम बेजुबानों की जान जाने के बाद अब प्रशासन जागा है।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : त्रिवेणी के तट पर तमाम बेजुबानों की जान जाने के बाद अब प्रशासन जागा है। गंगा के जलीय जंतु या फिर प्रवासी पक्षियों के यहां मरने की वजह जानने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा, बल्कि कुछ घंटों में ही इस नतीजे पर पहुंचा जा सकेगा कि मौत की वजह क्या थी। इसमें प्रशासन की मदद इलाहाबाद विश्वविद्यालय का प्राणि विज्ञान विभाग करेगा। इसके लिए एक कमेटी बना दी गई है।
कई वर्षो से माघ मेला के समय संगम में पानी की कमी का मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है, लेकिन इस बार संगम के किनारे मछलियों, कछुओं के बाद प्रवासी पक्षियों के मरने से हड़कंप मचा है। यही नहीं बीच-बीच में गंगा जल का रंग लाल एवं काला भी होता रहा है। ऐसे में केंद्रीय मंत्री उमा भारती को निरीक्षण के लिए यहां आना पड़ा। मृत जलीय जंतुओं व प्रवासी पक्षियों को जांच के लिए इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट बरेली भेजा गया था। बताते हैं कि मृत पक्षियों को यहां से भेजने एवं वहां जांच होने तक एक हफ्ते से अधिक समय लगता था। इससे जंतु या फिर पक्षी का मृत शरीर इतना बिगड़ जाता था कि उससे किसी नतीजे पर पहुंचना मुश्किल होता था। बरेली से आई पहली रिपोर्ट में स्थिति साफ नहीं है, जबकि दूसरे में मौत का कारण इंफेक्शन बताया गया है।
इसी बीच इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राणि विज्ञान विभाग की अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला पिछले दिनों यहां शुरू हुई। कार्यशाला में आए विद्वान संगम तीरे निरीक्षण पर भी गए। इस गतिविधि से चौकन्ना हुए मंडल प्रशासन ने टीम को आमंत्रित किया। बीते 13 दिसंबर को मंडलायुक्त वीके सिंह ने आस्ट्रेलिया से आए शकूफे शम्सी एवं विवि के प्राणि विज्ञान के प्रो. संदीप मल्होत्रा से मुलाकात की और संगम किनारे मर रहे जीवों के संबंध में मदद करने को कहा। प्रो. मल्होत्रा ने बताया कि संगम में मरने वाले जलीय जंतुओं व प्रवासी पक्षियों की जांच के लिए विवि तैयार है, जो रिपोर्ट कई दिन बाद बरेली से आती है वह कुछ ही घंटे में यहां से उपलब्ध हो जाएगी। उन्होंने बताया कि मंडलायुक्त ने इसकी एक कमेटी भी बनाई है। इसमें प्रो. मल्होत्रा के अलावा वेटनरी विभाग के मनोज खरे आदि को भी शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि पक्षियों के मरने कारण सड़ा-गला भोजन है। गंगा में टेनरी आदि से कचरा छोड़े जाने से ही पानी लाल हुआ होगा और उससे जलीय जंतुओं की जान गई होगी।