झूंसी की ओर खिसका संगम
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : एक तो गंगा में जल कम, दूसरे इसका रंग लाल। इनके दूर चले जाने से एक नई सम
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : एक तो गंगा में जल कम, दूसरे इसका रंग लाल। इनके दूर चले जाने से एक नई समस्या खड़ी हो गई है। पिछले वर्ष तक किले के समीप से बहने वाली यह पवित्र नदी इस वर्ष बिल्कुल झूंसी गाव के समीप से बह रही हैं। जाहिर है कि माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा में डुबकी लगाने के लिए काफी लंबी पदयात्रा करनी पड़ेगी। मेले की असली रौनक भी झूंसी क्षेत्र में ही देखने को मिलेगी। रही बात संगम की तो वह दिन पर दिन पीछे खिसकता जा रहा है।
माघ मेले की तैयारिया जोर शोर से की जा रही हैं। मेला क्षेत्र को तीन हिस्सों में बांटा गया है। संगम क्षेत्र, झूंसी क्षेत्र और अरैल क्षेत्र। इन तीनों क्षेत्रों में तैयारी की प्रगति को फिलहाल ठीक तो नहीं कहा जा सकता। पांच जनवरी को मेला का पहला स्नान पर्व है। देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को इस बार गंगा में डुबकी लगाने के लिए अतिरिक्त प्रयास करना होगा। कारण है गंगा का लगातार पीछे होते जाना। वर्तमान समय में संगम क्षेत्र से करीब डेढ़ किलोमीटर पीछे यह प्रवाहित हो रही हैं। जानकार बताते हैं कि गंगा के इस तरह पीछे हटने से मेला प्रशासन को भी कई तरह की परेशानी का सामना करना पड़ेगा। मसलन उन स्थानों पर भी घाट बनाने होंगे, जहां पहले अमूमन स्नान नहीं होता था। नाविकों और पंडों को भी नित नए ठीहे बनाने पड़ रहे हैं। पिछले कुंभ में संगम अरैल घाट के सामने हुआ करता था, लेकिन इस बार इसका नजारा बदल गया है। गंगाजल के लिए लोगों को संगम नोज से डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। यह हाल अभी है, जबकि मेला शुरू होने में अभी कुछ समय शेष है। आने वाले दिनों में अगर गंगा ने अपने पांव नहीं रोके तो सबसे ज्यादा दिक्कत में स्थानीय प्रशासन आ जाएगा।
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इनसेट
अरैल मेला क्षेत्र का स्थान खिसका
इलाहाबाद : गंगा के स्थान बदलने का असर अरैल मेला क्षेत्र पर भी पड़ा है। पिछले सालों तक घाट के आसपास लगने वाला मेला इस बार झूंसी के सामने लग रहा है। वह भी सिर्फ एक तरफ। सच्चा बाबा आश्रम से लेकर चक्र माधव मंदिर तक इस बार अरैल में मेले का विस्तार होगा। हालांकि अभी तक यहां प्रशासनिक तैयारी नाममात्र की हुई है। क्षेत्र में समतलीकरण के साथ अभी सिर्फ खंभे लगाने का कार्य चल रहा है। अन्य किसी विभाग ने यहां दस्तक नहीं दी है।