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हैलो. कमांडर कॉलिंग, पीवीआर में बदमाश हैं.!

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 'हैलो.कमांडर कॉलिंग.पीवीआर में बम है। तुरंत मौके पर पहुंचो।' बुधवार की र

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 10:36 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 04:47 AM (IST)
हैलो. कमांडर कॉलिंग, पीवीआर में बदमाश हैं.!

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 'हैलो.कमांडर कॉलिंग.पीवीआर में बम है। तुरंत मौके पर पहुंचो।' बुधवार की रात आठ बजे पुलिस कप्तान दीपक कुमार का यह संदेश जैसे ही वायरलेस सेट पर प्रसारित हुआ। पुलिस की गाड़ियां सायरन बजाते हुए सिविल लाइंस इलाके में स्थित विनायक टावर की ओर दौड़ पड़ीं। कुछ ही मिनटों में मॉल के आसपास जबर्दस्त घेराबंदी कर ली गई। दरअसल, यह सब कुछ मॉकड्रिल का हिस्सा था। पहले पुलिस अधिकारियों और थानेदारों का रिस्पांस टाइम चेक किया गया फिर अग्निशमन कर्मियों के प्रदर्शन को परखा गया। एक घंटे तक चली मॉकड्रिल में विनायक टावर के चप्पे-चप्पे को खंगाला गया।

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अग्निशमन कर्मियों का प्रदर्शन परखने के लिए मॉल की पार्किंग में गत्ते और कॉटन डालकर आग लगाई गई थी। अग्निशमन कर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर ही कुछ ही पलों में काले गाढ़े धुएं के बीच घुसकर लपटों को काबू कर लिया। बेहतर प्रदर्शन करने पर एसएसपी ने अग्निशमन कर्मी धर्मेद्र मिश्र और उनके सहयोगियों की पीठ ठोंक कर उनको शाबासी दी। फिर बम डिस्पोजल स्कवायड ने वहां खड़े वाहनों की गहन तलाशी ली। सब कुछ सामान्य पाए जाने पर रात नौ बजे मॉकड्रिल खत्म हुई। इस दौरान एसपी सिटी राजेश यादव, सीओ नीति द्विवेदी, एडिशनल एसपी सचींद्र पटेल, इंस्पेक्टर खुल्दाबाद आरके सिंह, इंस्पेक्टर नैनी इंद्रजीत चतुर्वेदी, एसओ शाहगंज शैलेश राय आदि मौजूद रहे।

थानेदारों के हाथों में एके-47

पीवीआर में बदमाशों के होने की सूचना पर आनन-फानन में मौके पर पहुंचे ज्यादातर थानेदारों ने बड़ी मुठभेड़ की संभावना पर खुद एके-47 रायफलें थाम रखी थी। उनको विनायक टावर पहुंचने तक इस बात का अंदाजा नहीं था कि यह एसएसपी की मॉकड्रिल का हिस्सा है।

अरे! क्या हुआ भाई

रात के आठ बजे सिविल लाइंस के सरदार पटेल मार्ग पर खासी भीड़ थी। विनायक टावर में खरीदारी, सिनेमा और खानपान का लुत्फ उठाने के लिए हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे। अचानक वहां भारी फोर्स और फायर ब्रिगेड के पहुंचने पर वह एकबारगी सकते में आ गए। किसी तरह की अफरातफरी न मचे इसके लिए बाहर के गेट को बंद कर दिया गया था और मॉल के सामने रूट डायवर्जन कर दिया गया था। ऐसे में उधर से गुजरने वाले राहगीर एक दूसरे से यह पूछते नजर आए- अरे! क्या हुआ भाई। आखिर इतनी फोर्स क्यों लगी है।


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