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मातृभाषा में नहीं हो रही पढ़ाई : वासे

जासं, इलाहाबाद : हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पाने का पूरा हक है। यह अधिकार कोई स

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 08:57 PM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 08:57 PM (IST)
मातृभाषा में नहीं हो रही पढ़ाई : वासे

जासं, इलाहाबाद : हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा पाने का पूरा हक है। यह अधिकार कोई सरकार या फिर संगठन नहीं देता, बल्कि संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा है। इसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यकों को यह लाभ सुलभ नहीं करा पा रही है। यह बात भारत के भाषाजात अल्पसंख्यक आयुक्त प्रो. अख्तरुल वासे ने बुधवार को दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में कही।

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उन्होंने कहा कि हर राज्य एवं राज्य के भीतर हर स्थानीय प्राधिकारी भाषाई अल्पसंख्यक वर्गो के बच्चों को शिक्षा के प्राथमिक स्तर पर मातृभाषा में शिक्षा की पर्याप्त सुविधाओं की व्यवस्था करने का प्रयास करेगा। यह बात संविधान के अनुच्छेद 350 (क) में लिखी गई है, इसके बाद भी उसका अनुपालन नहीं हो रहा है। सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, पाली, बंगाली एवं सिंधी भी ऐसी शिकायतें आए दिन करते रहते हैं। इस संबंध में यूपी के मुख्यमंत्री को पत्र भी लिखा है, लेकिन उन्होंने न तो उसका जवाब दिया और न निर्देश का अनुपालन किया है। उन्होंने कहा कि उर्दू में यदि कोई छात्र-छात्रा हाईस्कूल विज्ञान वर्ग से करना चाहे तो उसका तक प्रबंध नहीं है।

संस्कृत एवं जर्मन विवाद के संबंध में पूछे जाने पर बोले, संस्कृत और जर्मन की कोई तुलना नहीं हो सकती है क्योंकि जर्मन एक भाषा है, जबकि संस्कृत भाषा, संस्कृति एवं संस्कार की जननी हैं। वासे ने कहा कि भाषाएं संवाद के लिए हैं, विवाद के लिए नहीं। इसलिए अब इस मुद्दे को ज्यादा तूल नहीं देना चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्री ने सारी बातें स्पष्ट कर दी हैं।

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आतंकियों से मिलकर लड़ें इस्लामी देश

जासं, इलाहाबाद : पेशावर की घटना से हर कोई गमजदा है। जघन्य अपराध से सिर्फ मानवता ही शर्मसार नहीं हुई है, बल्कि इस्लाम और मुसलमान भी शर्मिदा हुआ है। यह बात भारत के भाषाजात अल्पसंख्यक आयुक्त भारत सरकार प्रो. अख्तरुल वासे ने कही।

उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ पूरे इस्लामी जगत के देशों को एकजुट होना पड़ेगा। अब किसी तरह की रियारत न हो क्योंकि पहले की काफी देर हो चुकी है। यह हर्ष एवं संतोष की बात है कि भारत के शीर्ष नेतृत्व ने संकट की घड़ी में पाकिस्तान से बात की और सहायता का आश्वासन दिया। पाकिस्तान को समझ लेना चाहिए कि जब तक भारत-पाक मिलकर आतंकवाद को मिटाने के लिए पक्की निष्ठा से सहयोग नहीं करेंगे, तब तक ये तांडव जारी रहेगा।


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