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यहां आजादी के बाद मिली हिंदी में प्रार्थना की छूट

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शहर के बीचोबीच स्थित सेंट पॉल चर्च वह स्थल है जहां प्रार्थना करने और शा

By Edited By: Published: Wed, 17 Dec 2014 08:40 PM (IST)Updated: Wed, 17 Dec 2014 08:40 PM (IST)
यहां आजादी के बाद मिली 
हिंदी में प्रार्थना की छूट

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : शहर के बीचोबीच स्थित सेंट पॉल चर्च वह स्थल है जहां प्रार्थना करने और शांति पाने के लिए लोग आते हैं। सफेद रंग में इस चर्च की अद्भुत छटा हर व्यक्ति को लुभाती है। इस चर्च में लोगों को शांति का पाठ पढ़ाया जाता है। चर्च की रूपरेखा 1883 में बनी थी, इसके पीछे चर्च के तत्कालीन पादरी डा. विलियम हूपर का दिमाग बताया जाता है। कमला नेहरू मार्ग स्थित इस चर्च की विधिवत स्थापना 1916 में हुई। उस वक्त इसके पादरी थे रेव्ह. आरटी हॉवर्ड। यह चर्च अंग्रेजी सरकार के अफसरों व उनके परिवार की इबादतगाह थी। यहां किसी दूसरे व्यक्ति को आने की इजाजत नहीं थी। परंतु कुछ समय बाद यहां अन्य लोगों को भी इबादत करने की छूट दी गई। यहां पर सिर्फ आंग्ल भाषा में ही प्रभु यीशु की इबादत की जाती थी परंतु आजादी के बाद ¨हदी में भी प्रार्थना करायी जाने लगी।

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हर मौसम में गुलजार ह्वाइट चर्च

सेंट पॉल चर्च डायोसिस ऑफ लखनऊ(सीएनआइ) की संपत्ति है। मसीही कलिसिया समुदाय इसकी देखरेख करता है। लगभग डेढ़ वर्ष के पुनर्निर्माण के बाद इसे ह्वाइट चर्च भी कहा जा सकता है। इसकी देखभाल करने वाले पीके जोएल ने बताया कि चर्च के पुनर्निर्माण में लगभग 45 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इसके अंदर का डेकोरेशन भी दर्शनीय है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह गर्मी में ठंडा और सर्द मौसम में गरम रहता है। इससे चर्च में हर मौसम में खासी भीड़ रहती है।

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पढ़ाते हैं एकता का पाठ

यह ऐसा चर्च है जहां प्रभु यीशु की प्रार्थना करने के साथ धार्मिक एकता का पाठ पढ़ाया जाता है। जहां लोगों को जाति-धर्म से ऊपर उठकर राष्ट्र की सेवा की सीख देने के साथ प्रभु यीशु द्वारा दिए गए शांति व एकता के संदेश को जीवन में उतारने की सीख दी जाती है।

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मानवता का पढ़ाते हैं पाठ : रेव्ह. एसपी लाल

चर्च के पादरी रेव्ह. एसपी लाल बताते हैं कि क्रिसमस के पावन अवसर पर मानव को मानव से जोड़ना हमारा मुख्य लक्ष्य है। क्रिसमस के एक सप्ताह पहले से ही यहां सामूहिक प्रार्थना सभा का आयोजन होता है। साथ ही प्रभु यीशु के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें स्कूली बच्चों को शामिल किया जाएगा। फिलहाल ईसाई समुदाय के लगभग दो सौ लोग इस चर्च से जुड़े हैं।


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