एग्रीकल्चर कैबिनेट बनाने पर जोर
जासं, इलाहाबाद : बायोवेद कृषि एवं प्रौद्योगिकी शोध संस्थान के तत्वावधान में बुधवार को आयोजित संगोष्ठ
जासं, इलाहाबाद : बायोवेद कृषि एवं प्रौद्योगिकी शोध संस्थान के तत्वावधान में बुधवार को आयोजित संगोष्ठी में कृषि विशेषज्ञों ने नई तकनीक को लेकर चर्चा की। कृषि की वर्तमान दशा और भविष्य को लेकर मंथन किया गया। उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र कुमार ने कृषि एवं तकनीकी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन के लिए एग्रीकल्चर कैबिनेट बनाने पर जोर दिया। कहा कि कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के लिए अलग से बजट आवंटित किए जाने की आवश्यकता है। राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एमपी दुबे ने कृषि विकास पर्यावरण को संरक्षित करते हुए स्वरोजगार हितैषी एवं आवश्यकतापरक प्रौद्योगिकी के प्रयोग पर बल दिया। इविवि के प्रो. डीएन शुक्ला ने नदियों के जल की गुणवत्ता एवं प्रदूषण रहित वातावरण को बनाए रखने हेतु खेती में जैव पदार्थो के अधिक प्रयोग पर बल दिया। नाबार्ड के सहायक महाप्रबंधक राजीव जेटली ने संस्था द्वारा कृषि के लिए उपलब्ध कराई जाने वाली सुविधाओं पर प्रकाश डाला। डॉ. एसएस मिश्रा ने कीट शोध संरक्षण में प्रयोग होने वाले जहरीले रसायनों के न्यायिक प्रयोग की जानकारी दी। बायोवेद संस्थान के निदेशक डॉ. बीके द्विवेदी ने एकीकृत एवं समन्वित ढंग से लाख, मोती, पोल्ट्री, डेयरी, स्सपाइरुलिना मधुमक्खी, औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती के बारे में जानकारी देते हुए उनको आय का साधन बनाने पर बल दिया। संगोष्ठी में डॉ. केडी जोशी, डॉ. आरिफ, डॉ. जेपी श्रीवास्तव, डॉ. सीएस चौबे, डॉ. एसपी वर्मा, डॉ. शिव प्रसाद विश्वकर्मा, प्रो. एके रजा, डॉ. अमिताभ, डॉ. एसडी मिश्रा आदि ने विचार रखे।