धूप पर भारी पड़ी ठंडी हवा, गलन बढ़ी
जासं, इलाहाबाद : ठंड के इस मौसम में 17 दिसंबर को पहली बार प्रयाग में पारा दस डिग्री सेल्सियस के नीचे
जासं, इलाहाबाद : ठंड के इस मौसम में 17 दिसंबर को पहली बार प्रयाग में पारा दस डिग्री सेल्सियस के नीचे रिकार्ड किया गया। मंगलवार को जहां न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस था वहीं बुधवार को घटकर यह 8.7 डिग्री सेल्सियस पर आ गया। हालांकि आसमान से बादल छंटते ही बुधवार को दिन में भगवान भाष्कर पूरी रौ में नजर आए, लेकिन गलन कम होने के बजाए और बढ़ गई। मंद-मंद बह रही ठंडी हवा धूप पर भारी पड़ी। तापमान गिरने से गलन बढ़ गई। शाम होते ही बाजारों में सन्नाटा नजर आया। लोग घरों के भीतर दुबके रहे।
तीन दिन पहले हुई रिमझिम बारिश के बाद तापमान लगातार गिरता जा रहा है। हालांकि बुधवार को दिनभर आसमान साफ रहा और धूप खिली रही। बावजूद इसके ठंडी हवाओं ने सूरज को अपनी मनमानी करने की छूट नहीं दी। धूप निकलने से दिन में लोगों को राहत मिली, पर ठंडी हवा ने शरीर से गरम कपड़ों को उतारने की इजाजत नहीं दी। पहाड़ों पर बर्फबारी व उत्तर भारत में पड़ रही कड़ाके की ठंड का असर यहां भी देखा जा रहा है। यही कारण है कि धूप निकलने के बाद भी पारा लगातार गिरता जा रहा है। मौसम विज्ञानी डॉ. एसएस ओझा का कहना है कि आने वाले दिनों में पारा और लुढ़क सकता है।
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पार्को में दिखी चहल-पहल
इलाहाबाद : दिन में खिली धूप का असर शहर के पार्को में नजर आया। कंपनी बाग, हाथी पार्क, मिंटो पार्क सहित अन्य पार्को में लोग पिकनिक मनाते देखे गए। छोटे छोटे बच्चों से पार्क गुलजार रहे। बड़े मस्ती में नजर आए तो युवतियों ने खाने पीने की चीजों का आनंद उठाया। धूप की वजह से संगम क्षेत्र भी गुलजार रहा। संगम तट पर स्नान करने वाले कम बल्कि साइबेरियन पक्षियों को दाना चुगाने वाले ज्यादा नजर आए।
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गरम कपड़ों के बाजारों में चहल-पहल
इलाहाबाद : बुधवार को खिली धूप में गरम कपड़ों के बाजारों में भी रौनक दिखी। यहां भी पारा लुढ़कने का असर साफ देखा जा रहा था। नगर निगम परिसर से सटकर लगे तिब्बती मार्केट में भी ऊनी कपड़ों की खरीदारी करते लोग दिखे। बिजली घर के समीप सड़क पर लगे कपड़ों की दुकानों पर उमड़ी भीड़ ठंडक का अहसास कराते नजर आई। शहर के बड़े बाजारों में भी गरम कपड़ों की बिक्री चरम पर दिखी।
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बच्चे, बूढ़े और जवान, रहें सावधान
-सेहत पर चढ़ा मौसम का पारा, जानलेवा हुई ठंड
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इंट्रो
मौसम की करवट सेहत पर भारी पड़ रही है। घर घर बीमारी का वास है। क्या छोटे, क्या बड़े, सब परेशान हैं। बुजुर्गो पर तो मौसम कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। दिल के रोगियों की शामत आ गई है। अस्पतालों में मरीजों की भीड़ डेढ़ गुनी बढ़ गई है। त्वचा संबंधी बीमारिया भी अपना असर दिखा रही हैं। बदले हालात का अंदाजा अस्पतालों में उमड़ रही भीड़ से लगाया जा सकता है।
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बच्चों की फूल रही सांस
इलाहाबाद : सर्दी का मौसम बच्चों के लिए काफी कष्टदायी होता है। तेज बहादुर सप्रू अस्पताल में लगभग ढाई सौ बच्चे रोज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इनमें से 40 फीसदी बच्चे सांस फूलने की बीमारी से ग्रसित होते हैं। निमोनिया से पीड़ितों की संख्या में भी तेजी से इजाफा हुआ है। बेली अस्पताल के सीएमएस डॉ. यूसी द्विवेदी बताते हैं कि संक्रमण काल चल रहा है। ऐसे में जिन बच्चों के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, उन्हें तुरंत बीमारियां अपनी चपेट में ले रही हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी आदि बीमारियों ने घर घर में बच्चों को अपनी चपेट में ले रखा है। डॉ. द्विवेदी का कहना है कि अभिभावकों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर ठंड से बचाने के लिए बच्चों के शरीर को गरम कपड़ों से ढककर रखें। उनके खानपान को लेकर विशेष सतर्कता बरतें। धूल, धुएं आदि से बचाएं। संक्रमित मरीज के संपर्क में न आने दें।
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कुछ तो करो जतन
इलाहाबाद : दिल के मरीजों के लिए यह मौसम खतरनाक है। एसआरएन सहित शहर के सरकारी अस्पतालों में आने वाले हृदय रोगियों की संख्या में बीते दिनों 15 फीसदी की वृद्धि हुई है। खास बात यह कि अस्पताल आने वाले मरीजों में नवजवानों की संख्या भी काफी होती है। बेली अस्पताल में रोज डेढ़ से ज्यादा दिल के रोगी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।
चिकित्सकों की मानें तो ठंड के दिनों में दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं। विंटर ब्रांकाइटिस व चेस्ट इंफेक्शन के मरीज बढ़ जाते हैं। मरीजों की सांस फूलने लगती है। दिमाग में खून की सप्लाई बाधित होने से ब्रेन स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है। इसके चलते लोगों में पक्षाघात होने का संकट पैदा हो जाता है। एसआरएन अस्पताल के हार्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. पीसी सक्सेना बताते हैं कि मार्निग वाक करते समय हमेशा सावधानी बरतनी चाहिए। सीने में दर्द की शिकायत को नजरअंदाज करना महंगा पड़ सकता है। हार्ट के वाल्ब खराब होने वाले मरीजों को मार्निंग वाक से बचना चाहिए। अगर जाना जरूरी है तो सूरज निकलने के बाद गर्म कपड़ों में बाहर निकलना चाहिए। गर्म पानी से स्नान करना चाहिए। रोजाना धूप सेकना जरूरी है क्योंकि इससे मिलने वाली विटामिन डी रिस्क ऑफ सीवियर हार्ट डिजीज फैक्टर को कम करती है।
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सूखी त्वचा पर ठंडी हवा का हमला
इलाहाबाद : मौसम से त्वचा रोगियों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। बच्चों और बुजुर्गो पर यह बीमारी कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। सरकारी अस्पतालों में त्वचा से संबंधित मरीजों की भीड़ जुट रही है। डॉक्टर इसके पीछे त्वचा की देखभाल की कमी और अनियंत्रित खानपान को कारण बता रहे हैं। एसआरएन अस्पताल के त्वचा रोग से संबंधित ओपीडी में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। डॉक्टर बताते हैं कि दस साल पहले की तुलना में वर्तमान समय में त्वचा रोगियों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। सर्दी के शुरू होते ही बुजुर्गो और बच्चों के साथ ही जवान लोगों की त्वचा पर भी मौसम का असर पड़ने लगता है। बुजुर्गो की त्वचा में पपड़ी पड़ जाती है। ऐसा लगता है कि जैसे त्वचा सूख गई हो। सर्दी में ज्यादातर लोगों को नहाने के बाद शरीर में खुजली की शिकायत होती है। दाद, खाज के मरीज भी बढ़ जाते हैं। कुछ रोग तो ऐसे होते हैं जिन पर दवा भी असर नहीं करती। अमूमन गर्मी और बरसात में होने वाली फंगल एलर्जी भी सर्दी अपना असर दिखा रही है। चेहरे पर झाइयों का असर भी सर्दी में ज्यादा नजर आने लगता है। एसआरएन अस्पताल के त्वचा रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. सुधा यादव बताती हैं कि त्वचा संबंधी बीमारियां धूप की एलर्जी से भी पैदा होती हैं जिसके लिए कुछ एहतियात बरतने की जरूरत होती है। खासकर बच्चों को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए।