..शहर में एक चिराग था, न रहा
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 'एक रोशन दिमाग था, न रहा। शहर में एक चिराग था, न रहा।।' किसी शायर की यह
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : 'एक रोशन दिमाग था, न रहा। शहर में एक चिराग था, न रहा।।' किसी शायर की यह पंक्तियां बुधवार की सुबह करेली के रसूलपुर इलाके में स्थित कब्रिस्तान में मौजूं थीं। हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता, चिंतक, विचारक और लेखक एसएमए काजमी को 'मां के पहलू' में सुलाने वालों का तांता था। तकरीबन दस बजे जब उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया तो मौजूद लोगों की आंखें छलक उठीं। शहर एक बेहतरीन शख्सियत खो चुका था, बस स्मृतियां शेष थीं।
सुबह साढ़े आठ बजे लूकरगंज स्थित आवास से जनाजा उठा। उनकी अंतिम यात्रा में शरीक होने के लिए सियासतदां, अधिवक्ताओं, लेखकों और करीबियों की भारी भीड़ थी। लूकरगंज से रसूलपुर कब्रिस्तान तक एक लंबी कतार थी। तकरीबन डेढ़ घंटे बाद वह मंजर आया जब बेटे सफदर अली काजमी ने अपने मरहूम वालिद को मिट्टी दी। जनाजे की नमाज कारी सैयद अहमद हबीबी ने अदा कराई। इस दौरान लखनऊ ईदगाह के इमाम खालिद रशीद फिरंगी महली, दामाद सैफुल इस्लाम व नगर विकास मंत्री आजम खां, पूर्व सांसद अतीक अहमद, शहर दक्षिणी के विधायक हाजी परवेज टंकी, पूर्व विधायक खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत हजारों लोग मौजूद थे।
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काजमी के इंतकाल से लगा गहरा आघात : अखिलेश
इलाहाबाद : पूर्व महाधिवक्ता सैयद मोहम्मद अली काजमी के असामयिक निधन पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि काजमी का इंतकाल एक बड़ी सामाजिक क्षति है। उनके निधन की खबर से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है। मुख्यमंत्री ने लूकरगंज स्थित काजमी के आवास जाकर उनके परिजनों को ढांढस बंधाया। वह तकरीबन 40 मिनट तक वहां मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हंडिया के जुनैदपुर गांव में आयोजित एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने आए थे। वहां से अचानक उनका काजमी के घर जाने का कार्यक्रम घोषित हुआ। दोपहर 11.55 पर उनका हेलीकॉप्टर पुलिस लाइन में उतरा। वहां से वह दोपहर 12.10 पर पूर्व महाधिवक्ता के आवास पहुंचे। परिजनों से मिलकर उनको ढांढस बंधाया और काजमी के समाजवादी पार्टी से गहरे रिश्तों की चर्चा की। इस दौरान प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, पूर्व सांसद अतीक अहमद, शहर दक्षिणी के विधायक हाजी परवेज टंकी, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी, शेखर बहुगुणा व सपा जिलाध्यक्ष कृष्णमूर्ति यादव आदि मौजूद थे।
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रातभर ताजा होती रहीं पुरानी यादें
इलाहाबाद : अभी जुमे के ही रोज तो उनसे घंटों गुफ्तगू हुई थी। मुल्क के हालात पर चर्चा हुई और कुछ मुकदमों की भी बातें हुई। कभी ख्वाब में न सोचा था, एकबारगी ऐसे उनके इंतकाल की मनहूस खबर सुनने को मिलेगी। यह बयां करते हुए मुंबई से यहां आए काजमी के बचपन के दोस्त कलीम अहमद कुछ यूं महसूस कर रहे थे, जैसे वह अपना सब कुछ लुटा चुके हों।
मंगलवार की दोपहर जैसे ही उनको पूर्व महाधिवक्ता के इंतकाल की खबर मिली वह फ्लाइट पकड़ सीधा लखनऊ पहुंचे और वहां से फिर काजमी के आवास। अकेले कलीम ही नहीं उनके जैसे कई साथी भी लखनऊ और आगरा से यहां आ गए थे। सभी लोग रातभर ताजियत पेश करते रहे और पुरानी यादों से हमकरार होते रहे। प्रोफेसर अली अहमद फातमी, अहमद हसनैन, तहसीन उस्मानी, कमरुल हसन सिद्दीकी, जावेद मोहम्मद आदि ने काजमी के साथ गुजारे गए वक्त को याद किया।