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राजकीय कॉलेज हाशिये पर, निजी को तवज्जो

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की नीति के अनुसार परीक्षा केंद्र बनाने की तय मियाद निकल गई है

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 01:04 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 01:04 AM (IST)
राजकीय कॉलेज हाशिये पर, निजी को तवज्जो

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की नीति के अनुसार परीक्षा केंद्र बनाने की तय मियाद निकल गई है, लेकिन अब तक प्रदेश के एक भी जिले में प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। नियम-कानून एवं जोड़तोड़ के बीच परीक्षा केंद्र झूल रहे हैं। तमाम जगहों पर राजकीय एवं सहायता प्राप्त कॉलेजों को दरकिनार कर निजी स्कूलों को सूचीबद्ध किया गया है। यह महज आरोप नहीं है, बल्कि शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों ने बाकायदे इसकी लिखित शिकायत की है।

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हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा कराने के लिए यूपी बोर्ड ने पिछले महीने परीक्षा नीति जारी की थी। इसमें 19 नवंबर तक प्रदेश भर में केंद्रों की स्थापना पूरी किए जाने का लक्ष्य तय किया गया था। केंद्रों की स्थापना में नियमों की अवहेलना न होने पाए इसलिए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने पहली बार प्रदेश के 35 बड़े शिक्षा अधिकारियों को जनपदों में उतारा था। इसके अलावा जनपद स्तर की समिति अपना काम कर रही थी। माना गया कि सब कुछ समय पर एवं बेहतर तरीके से हो जाएगा, लेकिन हुआ ठीक इसका उल्टा।

आला अफसरों की मौजूदगी के बाद भी नकल माफिया के इशारे पर निजी कॉलेजों को परीक्षा केंद्र बनाने की प्रक्रिया में शामिल किया गया। जालौन जनपद में ऐसा होने पर वहां तैनात आला अधिकारी उप शिक्षा निदेशक भावना शिक्षार्थी ने इसकी लिखित शिकायत माध्यमिक शिक्षा परिषद की सचिव एवं प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा से की है। यह जनपद महज बानगी भर है ऐसा ही हाल प्रदेश के अन्य कई जनपदों का है। लखनऊ के नगराम क्षेत्र में उन निजी कॉलेजों को केंद्र बनाया गया है, जो पहली बार परीक्षा करा रहे हैं, जबकि जिन पर पहले कोई आरोप नहीं था, उन्हें परीक्षा से मुक्त कर दिया है। ऐसे ही इलाहाबाद में भी नियमों की अनदेखी की तमाम शिकायतें हैं। तय समय में परीक्षा केंद्र न बन पाने के कारण ही अब यह तिथि बढ़ाकर 30 नवंबर की गई है। परिषद के केंद्र स्थापना विभाग में अब तक किसी जनपद से यह रिपोर्ट नहीं पहुंची है कि उनके यहां केंद्रों की स्थापना का कार्य पूरा हो चुका है। अपर सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद कामता राम पाल ने बताया कि प्रदेश के 26 जिलों में कार्य पूरा हो चुका है, बाकी जिलों में केंद्र स्थापना की प्रक्रिया तेजी से चल रही है।

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शिक्षा माफिया का चक्रव्यूह नहीं भेद पा रहे अफसर

जासं, इलाहाबाद : वैसे प्रदेश भर के लगभग हर जनपद का कोई न कोई क्षेत्र या फिर कॉलेज नकल कराने के लिए कुख्यात है, लेकिन कई ऐसे जनपद भी हैं जो शिक्षा माफिया के जनपदों के रूप में पहचान बना चुके हैं। यूपी बोर्ड परीक्षा को नकलविहीन कराने के लिए हर बार बड़े-बड़े दावे होते हैं, लेकिन शिक्षा माफिया का चक्रव्यूह अफसर भेद नहीं पा रहे हैं। अपना नाम न छापने की शर्त पर शिक्षा विभाग के आला अधिकारी कहते हैं कि इलाहाबाद, कौशांबी, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया, आजमगढ़, मऊ, मैनपुरी, इटावा, अलीगढ़, फिरोजाबाद, मथुरा, बदायू, कानपुर देहात, देवरिया, चंदौली आदि ऐसे जनपद हैं जहां निजी कालेजों को केंद्र बनाने का खासा दबाव होता है। कुछ जनपदों में तो शिक्षा माफिया अपने स्कूल को परीक्षा केंद्र बनाने का अनुरोध न कर सीधे आदेश देते हैं। यहां तक तय करते हैं कि 'इस' स्कूल का केंद्र हमारे यहां बना दो और हमारे यहां के परीक्षार्थियों को 'उस' कॉलेज में भेज दो।

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'सीसीटीवी' और अन्य निर्देशों पर ग्रहण!

इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा में बहुप्रतीक्षित नियमों के लागू होने की अब संभावना कम ही है। नए हुक्मरान की बैठक में सीसीटीवी कैमरा आदि मुद्दों पर चर्चा तक नहीं हुई। इससे कॉलेज प्रबंधक व संचालक क्या करें, क्या न करें की ऊहापोह में हैं। सीसीटीवी लगाने व परीक्षा केंद्र निर्धारण प्रकरण को लेकर शिक्षा माफिया में मची हलचल का असर शिक्षा विभाग पर पड़ा। नए हुक्मरान ने आनन-फानन में बैठक बुलाई तो सभी में यह जिज्ञासा थी कि उनका आखिर अब क्या रुख होगा। ऐसे माहौल में माध्यमिक शिक्षा मंत्री भले ही बरामदे तक कैमरा लगवाने का बयान दे रहे हैं, लेकिन माध्यमिक शिक्षा के प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने इस संबंध में कोई बयान नहीं दिया है। अब इस प्रकरण के हाशिए पर जाने के आसार हैं। केवल डिबार कॉलेजों को ही परीक्षा केंद्र न बनाने का निर्देश दिया गया है। इसमें नया कुछ नहीं है, यह आदेश पहले से ही अमल में था।


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