Move to Jagran APP

सरकारी मशीनरी हारी, शिक्षा माफिया भारी

केस एक : आवश्यकतानुसार डिबार विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर जनपदीय समिति उनके भवन, उपस्कर

By Edited By: Published: Wed, 26 Nov 2014 01:12 AM (IST)Updated: Wed, 26 Nov 2014 01:12 AM (IST)
सरकारी मशीनरी हारी, शिक्षा माफिया भारी

केस एक : आवश्यकतानुसार डिबार विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाए जाने पर जनपदीय समिति उनके भवन, उपस्कर आदि पर विचार करते हुए निर्णय लेगी, किंतु परीक्षा केंद्र बनाए जाने की स्थिति में परीक्षाएं पर्यवेक्षक की निगरानी में होंगी वहां वाह्य केंद्र व्यवस्थापक नियुक्त होगा।

loksabha election banner

(केंद्र स्थापना नीति 2013 का 1 (च))

केस दो : सभी केंद्रों के हर परीक्षा कक्ष में केंद्र की ओर से अपने खर्च पर क्लोज सर्किट टीवी कैमरे अनिवार्य रूप से लगाए जाएंगे। परीक्षा केंद्र की छत पर दो स्टैटिक कैमरे लगाए जाएंगे, जिसमें एक आगे और दूसरा पीछे होगा।

(21 नवंबर 14 को बैठक में निर्णय)

केस तीन : राजकीय एवं अशासकीय सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्र में पहले अधिकतम 1200 परीक्षार्थियों का आवंटन करने की नीति जारी हुई। बाद में शासन ने यह सीमा भी खत्म कर दी। अब जरूरत के हिसाब से केंद्र और बड़ा हो सकता है।

(21 नवंबर 14 को बैठक में निर्णय)

------------------------

धर्मेश अवस्थी, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की परीक्षा शुरू होने के पहले ही विभाग में उथल-पुथल मची है। उक्त तीनों निर्णयों (केस एक, दो व तीन) से प्रदेश भर के शिक्षा माफियाओं की कमर टूटना शुरू हुई तो वह तुरत-फुरत सक्रिय हुए और उन्होंने 'हुक्मरान' को ही हासिये पर धकेलवा दिया। ऐन परीक्षा शुरू होने के समय तेजी से चल रही तैयारियों को धक्का लगा है। अब सख्त निर्णय लेने के लिए अफसरों को बार-बार सोचना पड़ेगा।

दरअसल, इस बार 2015 की बोर्ड परीक्षा की योजना बनाते समय ही सख्ती शुरू हो गई थी। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने बीते 26 सितंबर को केंद्र निर्धारण की नीति बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा। इसमें 2014 के लिए बनी नीति को ही दोबारा भेजा गया। अमूमन हर साल डिबार कालेज परीक्षा केंद्र निर्धारण नीति 1 (च) के नियम का लाभ उठाकर केंद्र बन जाते रहे हैं, लेकिन इस मर्तबा प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा ने सख्त रुख अख्तियार करके इस नियम को ही केंद्र स्थापना नीति से हटवा दिया। आशय साफ था कि किसी भी डिबार कालेज को परीक्षा केंद्र बनने नहीं दिया जाएगा। इससे नकल माफिया सदमे में थे।

बीते 21 नवंबर को परीक्षा केंद्र स्थापना की बैठक में क्लोज सर्किट कैमरा एवं स्टैटिक कैमरा लगाने के सख्त आदेश से तो हड़कंप मच गया। इसके दो कारण थे। पहला केंद्र को ही अपने खर्चे पर कैमरे लगवाने को कहा गया। इस पर राजकीय कालेजों के प्रधानाचार्य एवं शिक्षक दबी जुबान यह कह रहे थे कि आखिर इसके लिए धन का प्रबंध कैसे करेंगे। दूसरा वह लोग जो नकल की आकांक्षा पाले थे कैमरा लगने के निर्देश से टूट गए, क्योंकि जरा सी भी नकल या उसकी कोशिश इसमें दर्ज हो जाती।

यहां तक भी गनीमत थी। शासन ने अंत में परीक्षा केंद्र पर 1200 परीक्षार्थियों की अधिकतम संख्या होने का आदेश भी बदल दिया। कहा गया कि राजकीय एवं सहायता प्राप्त परीक्षा केंद्र की पूरी क्षमता का दोहन किया जाएगा। इसके लिए चाहे जितनी संख्या हो जाए। इस आदेश के बाद तो निजी कालेज संचालकों व शिक्षा माफियाओं की 'दुकानों' पर ताला लगने की नौबत आ गई। पूरब से पश्चिम तक के शिक्षा माफियाओं ने एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाया तो उसका असर सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद के हटने के बाद प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा के हटने के रूप में सामने आया है।

-----------------------------------

देख तमाशा कुर्सी का ..

- हुक्मरान बदलने से माध्यमिक शिक्षा परिषद में मचा हड़कंप

- अफसर कर्मचारियों को साथ लेकर भागे राजधानी

जासं, इलाहाबाद : 'सुबह करीब ग्यारह बजे के आसपास कार्यालय में अफसर व कर्मचारियों के आने का सिलसिला जारी था, इसी बीच फोन घनघनाए आला अफसर ने फोन उठाया और निर्देश सुना, फिर दूनी तेजी के साथ यहां-वहां फोन मिलाना शुरू कर दिया। आनन-फानन में अफसरों ने बारी-बारी से लखनऊ की राह पकड़ ली।'

यह नजारा है मंगलवार को उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय का। माध्यमिक शिक्षा परिषद के प्रमुख सचिव बदलने की सूचना तो सोमवार मध्यान्ह में ही यहां पहुंच गई थी। उसके बाद से सभी नियम-कानूनों में कुछ बदलाव होने की उम्मीद संजोए थे। इसी बीच करीब 11 बजे लखनऊ से निर्देश आया कि प्रमुख सचिव शाम पांच बजे आवश्यक बैठक लेंगे। यह सुनते ही अफसरों ने एक-दूसरे को व मातहतों को इसकी सूचना दी और लखनऊ जाने की तैयारियों में जुट गए। परिषद की सचिव तो कुछ ही मिनटों में लखनऊ के लिए निकल पड़ीं, लेकिन अपर सचिव व अन्य कर्मचारी वाहन का इंतजार कर रहे थे। किसी तरह प्रबंध होने पर वह दोपहर बाद ही जा सके। सभी कर्मचारी बुदबुदा रहे थे कि इतने ठंडक में इस तरह का तुगलकी फरमान जायज नहीं है। अफसर व कर्मचारियों के बीच अफरातफरी मचने से परिषद की लान के पास लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों की जुटान रही और वह बदली व्यवस्था एवं बदले-बदले सरकार पर चर्चा में पूरे समय तक मशगूल रहे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.