'टेर द सितरवा के तार हो..'
जासं, इलाहाबाद : 'टेर द सितरवा के तार हो.., देवरा करेला मनमानी.., कभी मौत भी हो तो छोड़े ना आसरा..' ज
जासं, इलाहाबाद : 'टेर द सितरवा के तार हो.., देवरा करेला मनमानी.., कभी मौत भी हो तो छोड़े ना आसरा..' जैसे बिरहा सुनाकर भदोही से आए रामसजीवन प्रजापति ने श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौका था 'सुरांजलि' कार्यक्रम का। सोमवार को एनसीजेडसीसी (उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृति केंद्र) प्रेक्षागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में श्रोताओं ने सावित्री पांडेय (गोरखपुर) के गाए लोकगीतों का भी आनंद लिया।
'माई तोर पूजी ला चरनियां.., देवरा करेला मनमानी.., नइखे भावत साया साड़ी..' सुनाकर सावित्री ने खूब वाहवाही ली। रामइकबाल (प्रतापगढ़) ने आल्हा में मांडवगढ़ की लड़ाई का खूबसूरती से वर्णन किया। कार्यक्रम के अंत में कथक नृत्यांगना रितू गुप्ता ने लखनऊ घराने का कथक पेश किया।