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'प्रयाग की माटी में प्रतिभा भरपूर'

जासं, इलाहाबाद : साहित्य के क्षेत्र में सूर्य की भांति चमकने वाले प्रयाग में लगता है वह समय वापस लौट

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 01:55 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 01:55 AM (IST)
'प्रयाग की माटी में प्रतिभा भरपूर'

जासं, इलाहाबाद : साहित्य के क्षेत्र में सूर्य की भांति चमकने वाले प्रयाग में लगता है वह समय वापस लौट आया है। वह समय जब देश के नामचीन साहित्यकार यहां की माटी में रमना चाहते थे। बसना चाहते थे। बहुतेरे तो रमें भी ओर बसे भी। बड़ी लंबी फेहरिस्त है जनाब अपने पूरनियों की। उन्हीं आदर्श साहित्यकारों के पदचिन्हों पर अपना इलाहाबाद फिर चल पड़ा है। उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा 2013 का भारत-भारती सम्मान,लोहिया सम्मान,साहित्य भूषण सम्मान और पराड़कर पुरस्कार पाने वाले इलाहाबादियों ने पुरस्कार पाने के बाद कहा-

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'भारत-भारती सम्मान पाने की तो खुशी है किंतु सूचना पाने के पहले मेरी पत्‍‌नी अत्यंत अस्वस्थ हैं। मैं उनको लेकर बेहद चिंतित हूं और उनके स्वस्थ होने की कामना कर रहा हूं। '-दूधनाथ सिंह

'लोहिया सम्मान मिलने के बाद अत्यंत प्रसन्नता हो रही है। वास्तव में यह सम्मान इलाहाबादियों का है। पूरे देश में केवल प्रयाग ही जहां कलमकारों को सम्मान मिलता है। कलम के सिपाहियों की कद्र होती है। '-ममता कालिया

'साहित्य भूषण सम्मान पाकर मैं इलाहाबादी होने पर फक्र महसूस कर रहा हूं। वास्तव में यह पाठकों का सम्मान है। इलाहाबाद के लोगों का सम्मान है।'-विभूति नारायण राय

'पराड़कर पुरस्कार पाकर लग रहा है कि मैंने इलाहाबाद की माटी का कुछ हद तक कर्ज चुका दिया है। ऐसे पुरस्कार हमें और अच्छा करने को प्रेरित करते हैं। इलाहाबाद वैसे भी बनावट व सजावट की धरती है।'-धनंजय चोपड़ा


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