Move to Jagran APP

'संस्कृत के बिना जीवन दर्शन अधूरा'

जासं, इलाहाबाद : संस्कृत का संवर्धन बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके बिना जीवन दर्शन ही अधूरा है। यह बात

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 01:49 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 01:49 AM (IST)
'संस्कृत के बिना जीवन दर्शन अधूरा'

जासं, इलाहाबाद : संस्कृत का संवर्धन बेहद जरूरी है, क्योंकि इसके बिना जीवन दर्शन ही अधूरा है। यह बात शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने शुक्रवार को सौदामिनी संस्कृत महाविद्यालय में अखिल भारतीय संस्कृत सम्मेलन के समापन अवसर पर कही।

loksabha election banner

संयुक्त शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र कुमार यादव ने संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार को महत्वपूर्ण बताया। साथ ही इसके ज्योतिष तत्वों पर अपने विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता कर रहे डा. रामनरेश त्रिपाठी ने इस आयोजन के प्रति खुशी जताते हुए कहा कि इससे उनका सपना साकार हो रहा है। आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी ने मुहूर्त के महत्व का विशद विवेचन किया। डा. भगवत शरण शुक्ल ने ज्योतिष के अध्ययन एवं अनुशीलन पर जोर दिया।

द्वितीय सत्र में जिला विद्यालय निरीक्षक कोमल यादव व डा. चंद्रदेव मिश्र भी पहुंचे। इस सत्र में शोध पत्रों का वाचन हुआ। इसमें डा. चिरंजीव शर्मा, डा. भगवत शरण शुक्ल, डा. केदारनाथ मिश्र, हरिमोहन मालवीय, डा. अखिलेश कुमार आदि मौजूद थे। तृतीय सत्र में पुरस्कारों का वितरण हुआ इसमें शिव प्रकाश मिश्र, कृष्णकांत मिश्र, विशाल पांडेय, रश्मि चावला, ऋषभ तिवारी, देवेंद्र तिवारी प्रथम रहे। रोहित शुक्ल, अवनीश पांडेय, धीरज पांडेय, सौरभ मिश्र, सर्वेश कुमार शुक्ल, अनुराग मिश्र, योगनाथ शुक्ल द्वितीय एवं आकाश दीप दुबे, निखिल त्रिपाठी, रीषू कुमार मिश्र, अनुज कुमार शुक्ल, नवीन मिश्र तृतीय रहे। संचालन डा. भगवत शरण शुक्ल व आभार ज्ञापन प्राचार्य नंद कुमार ने किया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.