कालेजों को डिबार करने पर अभी सहमति नहीं
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड परीक्षा 2015 की नीति जारी होने के बाद भी अभी कालेजों को डिबार
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यूपी बोर्ड परीक्षा 2015 की नीति जारी होने के बाद भी अभी कालेजों को डिबार करने पर सहमति नहीं बन पाई है। यह प्रकरण माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव स्तर पर ही लंबित है। यह जरूर है कि बुधवार को परीक्षा समिति की पहली बैठक में दागी स्कूलों से लेकर जिनके परीक्षा परिणाम अब तक लंबित है पर विस्तार से मंथन हुआ है। माना जा रहा है समिति के निर्णय पर मुहर लगने में अभी सप्ताह भर और लगेगा।
हर तीन वर्ष पर माध्यमिक शिक्षा परिषद का पुनर्गठन होता है। इस बार यह प्रक्रिया पूरी होने में वक्त लगा, इसीलिए डिबार कालेजों का मामला लंबित है। पिछले वर्षो में यह होता रहा है कि शासन से परीक्षा नीति आने के बाद नीति की कॉपी और डिबार कालेजों की सूची जनपदों को एक साथ भेजी जाती थी। इसके पहले शासन को भी डिबार कालेजों की सूची भेज दी जाती थी, लेकिन परिपाटी इस मर्तबा टूट गई।
बुधवार को पहली बार परीक्षा समिति की बैठक हुई। इसमें 2014 में जिन 18 कालेजों में पुनर्परीक्षा हुई थी उनकी शिकायतों पर विचार-विमर्श हुआ। प्रश्नपत्र का लिफाफा खुलने के चार मामलों और 27 पुराने प्रकरणों पर भी मंथन हुआ। ऐसे ही 2013 एवं 2014 के 146 ऐसे मामले भी उठे जिन कालेजों में पुनर्परीक्षा हुई थी, लेकिन अभी उत्तर पुस्तिकाओं की स्क्रीनिंग का कार्य बाकी है। साथ ही कई कालेजों का परीक्षा परिणाम इसलिए रोका गया कि उनके यहां के छात्रों ने सारी अर्हताएं पूरी नहीं की है।
सभी मामलों पर मंथन हुआ, लेकिन फिलहाल कई प्रकरणों पर अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। कुछ मामलों को सचिव माध्यमिक शिक्षा परिषद शकुंतला देवी यादव ने रोक लिया है। कहा जा रहा है कि जल्द ही सभी प्रकरण अनुमोदन के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक को भेजा जाएगा। उनकी मुहर लगने के बाद ही डिबार कालेजों की सूची जारी हो सकेगी। बैठक में संयोजक परिषद की सचिव, सदस्य वीरभान यादव, अलाउद्दीन खां, गीता गांधी, संयुक्त निदेशक इलाहाबाद राजकुमारी वर्मा मौजूद थीं, जबकि सचिव माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद बैठक में नहीं आए।