सचिव के वीआरएस पर गहमागहमी तेज
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है।
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड में सबकुछ सामान्य नहीं चल रहा है। यहां नए शैक्षिक सत्र के साथ ही स्थितियां असहज होने लगी थीं जो अब परिषद के सचिव की स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) के आवेदन के रूप में सामने आई हैं। इस मुद्दे पर परिषद में गहमागहमी तेज हो गई है लेकिन कोई भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं है। सूत्रों की मानें तो सचिव ने वीआरएस लेने का कदम विभागीय दबाव में उठाया है, उन पर ऐसे कार्य करने का दबाव था जिसमें नियमों की धज्जियां उड़तीं। उसे करने के बजाय सचिव ने परिषद से ही हटने का रास्ता चुना।
वर्ष 1998 बैच की अफसर शकुंतला देवी यादव ने उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव के रूप में 31 जुलाई 2013 को कार्यभार ग्रहण किया था। तब से वह निरंतर बेहतर तरीके से कार्य कर रही थीं। उन्हीं के कार्यकाल में कक्षा नौ एवं ग्यारह के छात्रों का ऑनलाइन पंजीकरण कार्य शुरू हुआ। पैंसठ लाख से अधिक छात्र-छात्राओं को तय समय में पंजीकृत किया गया। परीक्षा केंद्रों के निर्धारण एवं मान्यता आदि में उन पर अंगुली नहीं उठी। इन्हीं के कार्यकाल में हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के छात्र-छात्राओं का ऑनलाइन बोर्ड परीक्षा का फार्म भरवाया गया। ऑनलाइन पंजीकरण का कार्य दूसरे वर्ष भी जारी रहा।
परिषद ने इस बार भी ऑनलाइन केंद्र निर्धारण करने की तैयारी की थी किंतु ऐन मौके पर शासन ने उसे रोक दिया और पुराने ढर्रे पर केंद्रों का निर्धारण करने का निर्देश दिया। पहला झटका उन्हें इस निर्णय से लगा। इसके बाद एक के बाद एक ऐसे प्रकरण सामने आए जिसे नियमों के मुताबिक किया जाना संभव नहीं था। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ शख्स ने पदासीन होने के बाद से ही सचिव पर बेजा काम के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। पुराने वर्ष का एक अंक पत्र जारी करने का निर्देश दिया। परिषद ने जब अभिलेख जांचे तो अंक पत्र मिला ही नहीं, इसी को लेकर सचिव व उक्त शख्स में तकरार बढ़ गई। इसके अलावा प्रश्नपत्रों की छपाई एवं कापियों की खरीद आदि को लेकर भी एक राय नहीं बनी।
शिक्षा निदेशालय के सूत्र बताते हैं कि सचिव ने गत 17 सितंबर को ही वीआरएस के लिए निदेशक माध्यमिक शिक्षा अवध नरेश शर्मा को लिख दिया था। 19 सितंबर से यह पत्र निदेशालय में है। वहीं से अनुमोदन के पहले रणनीति के तहत इसे लीक कराया गया है। मंगलवार को मामला गरमाने पर इसे पत्रवाहक के माध्यम से शासन व शिक्षा निदेशक को भेजा गया है। पत्र में सचिव ने स्पष्ट रूप से लिखा है कि वह कामकाज को लेकर बेहद तनाव में हैं ऐसे में उनका काम करना संभव नहीं है। उन्होंने लखनऊ में महत्वहीन पद पर नियुक्ति अथवा फिर वीआरएस स्वीकृत करने का अनुरोध किया है।
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मैंने स्वास्थ्य कारणों से वीआरएस के लिए पत्र लिखा है यह पत्र आज का नहीं है, बल्कि उसे लिखे एक महीने से अधिक हो गया है, मैं समझ नहीं पा रही हूं कि आखिर इस पर ऐसे चर्चा क्यों हो रही है। मैंने नौकरी बहुत कर ली है अब आराम करना चाहती हूं।
-शकुंतला देवी यादव, सचिव उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद।
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बैठकों में साधे रखा मौन
माध्यमिक शिक्षा परिषद का हर तीन वर्ष पर पुनर्गठन होता है। इस साल भी 29 अगस्त को पुनर्गठित किया गया। गत 14 अक्टूबर को परिषद की पहली बैठक हुई लेकिन सचिव ने वीआरएस के बाबत मौन साधे रखा।
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सिर्फ उपेंद्र कुमार हुए रिटायर
माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव की कुर्सी पर वैसे तो 33 अफसर बैठे, लेकिन इसी पद से रिटायर होने का सौभाग्य केवल उपेंद्र कुमार को ही मिला। बाकी सभी को सेवानिवृत्ति के पूर्व हटा दिया गया। शकुंतला देवी को भी अप्रैल 2016 में रिटायर होना है किंतु 18 महीने पहले ही उन्होंने पद से किनारा करने की ठान ली है।
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पुराने अफसर की होगी ताजपोशी!
माध्यमिक शिक्षा परिषद कार्यालय में यह खबर जोरों पर है कि यहां सचिव के रूप में तैनात रहीं एक अधिकारी को ही फिर कमान मिलने जा रही है। वैसे उनका कार्यकाल यहां पांच वर्ष रहा है और इस दौरान उन्होंने अच्छे कार्य किए साथ ही बड़ा घोटाला भी उजागर हुआ। वहीं कई लोगों का यह भी कहना है कि शासन शकुंतला देवी का वीआरएस स्वीकार ही नहीं करेगा, क्योंकि यह वीआरएस का आवेदन नहीं बल्कि कंडीशनल इस्तीफा है।