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..और बुझ गई उम्मीद की आखिरी लौ

मूरतगंज, कौशांबी : कौशांबी के कोखराज इलाके में मंगलवार की भोर बनारस से कानपुर जा रहे संदीप श्रीवास्त

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 10:14 PM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 10:14 PM (IST)
..और बुझ गई उम्मीद की आखिरी लौ

मूरतगंज, कौशांबी : कौशांबी के कोखराज इलाके में मंगलवार की भोर बनारस से कानपुर जा रहे संदीप श्रीवास्तव का पूरा परिवार सड़क हादसे हादसे में खत्म हो गया। संदीप, पत्‍‌नी संयोगिता और बड़ा बेटा तन्मय पहले ही काल के गाल में समा चुके थे। छोटे पुत्र शौर्य की हालत नाजुक थी। उसे रामबाग के एक निजी नर्सिग होम में भर्ती कराया गया था। सुबह उसकी मौत से उम्मीद आखिरी लौ भी बुझ गई।

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बनारस के शिवपुर इलाके के संदीप श्रीवास्तव (45) कानपुर में डिटर्जेट बनाने वाली एक कंपनी में सहायक महाप्रबंधक थे। उनकी सास का रविवार को बनारस के शिवपुर थाना क्षेत्र के बसई गांव में देहांत हो गया था। सोमवार को संदीप पत्‍‌नी संयोगिता (41) बेटे तन्मय (11) व शौर्य (7) के साथ अंतिम संस्कार में शामिल हुए। सोमवार की रात करीब दस बजे वह अपने साढ़ू अमित निगम (38) पुत्र धर्मेद्र निगम व सरहज स्वेता के साथ कानपुर के कमला नगर कार से जा रहे थे। संदीप श्रीवास्तव कार चला रहे थे। भोर करीब चार बजे संदीप की कार कोखराज थाने के नजदीक समसा फिलिंग स्टेशन के सामने डिवाइडर से टकरा गई। हादसे में संदीप का परिवार गंभीर रूप से घायल हो गया था। अमित और उनकी पत्‍‌नी को भी चोटें आई। गंभीर रूप से घायल लोगों को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां डॉक्टरों ने संदीप और उनकी पत्‍‌नी संयोगिता व तन्मय को मृत घोषित कर दिया था। शौर्य अमित व श्वेता को इलाज के लिए रामबाग के एक नर्सिग होम में भर्ती कराया गया था। सुबह शौर्य ने भी दम तोड़ दिया। संदीप के पूरे परिवार का अंतिम संस्कार उनके बड़े भाई संजय श्रीवास्तव ने मंगलवार की रात रसूलाबाद घाट पर किया।

वह इस उम्मीद थे कि शायद भाई के परिवार की आखिरी निशानी बच जाए। रात भर सभी इसी उम्मीद में एक दूसरे को ढांढस बंधाते रहे मगर जब सुबह डॉक्टरों ने शौर्य की मौत की खबर सुनाई तो जैसे सभी को काठ मार गया। शब्दों की जगह अश्रुधारा ने ले ली। जो भी मौके पर मौजूद रहा उनकी आंखों से बस आंसू बह रहे थे। आसपास लोग यही कह रहे थे कि यही विधि का विधान है, जिसपर अपना कोई बस नहीं चलता। सिर्फ ऊपर वाले की ही मर्जी चलती है।


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