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हर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह अनिवार्य: राज्यपाल

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद: राज्यपाल राम नाइक ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में दिसंब

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 06:56 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 06:56 PM (IST)
हर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह अनिवार्य: राज्यपाल

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद:

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राज्यपाल राम नाइक ने कहा कि प्रदेश के प्रत्येक विश्वविद्यालय में दिसंबर तक दीक्षांत समारोह करा लेना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके लिए दिशा निर्देश जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए हम कृतसंकल्पित हैं और जल्द ही उच्च शिक्षा का स्वरुप बदलता दिखाई देगा।

इलाहाबाद संग्रहालय में मंगलवार को भारतीय कला में शिव पर केंद्रित प्रदर्शनी का उद्घाटन क रने के बाद आयोजित समारोह में राज्यपाल नाइक ने कहा कि 'प्रयाग का नाम जुबां पर आते ही दो चीजें जेहन में कौंधती हैं। एक तो गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती का संगम और दूसरा इलाहाबाद विश्वविद्यालय। पूरब का ऑक्सफोर्ड कहा जाने वाला यहां का विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा के लिए पूरी दुनिया में मशहूर रहा है, पर वर्तमान में विश्वविद्यालय गिरावट की और है। इसका वैभवशाली इतिहास फिर अपने आप को दोहराए इसके लिए शिक्षकों, छात्रों और सरकार को प्रयास करना होगा।

गंगा केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं

गंगा को स्वच्छ रखने व करने की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं वरन हम सभी भारतीयों की है। गंगा नदी ही नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति है। इस धरोहर को संजोए रखना सभी की जिम्मेदारी है। राज्यपाल ने कहा कि इलाहाबाद संग्रहालय को विश्व स्तरीय बनाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। भारतीय संस्कृति में भगवान शिव का विशेष योगदान है, इनकी महिमा अपरंपार है। राज्यपाल ने यह भी कहा कि किसी को अपना मूल नहीं भूलना चाहिए, वही उसकी थाती होती है। प्रयाग की संस्कृति हजारों साल पुरानी है और इन संस्कृतियों को हम संग्रहालय में देख सकते हैं। इलाहाबाद म्यूजियम में लगभग 72 हजार देखने योग्य वस्तुएं हैं। इससे बच्चों को भी वाकिफ कराने की आवश्यकता है। इस अवसर पर न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय, सांसद श्यामा चरण गुप्ता, सांसद केशव प्रसाद मौर्य, सांसद विनोद सोनकर, संग्रहालय के निदेशक राजेश पुरोहित, एनसीजेडसीसी के निदेशक गौरव कृष्ण बंसल आदि उपस्थित थे।

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हल्ला बोल पर कोई प्रतिक्रिया नहीं

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को राजभवन में अतिथि बनाए जाने को लेकर सपा द्वारा हल्ला बोल मामले पर गवर्नर राम नाईक ने कुछ भी कहने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक होता है और इस पद की अपनी मर्यादाएं हैं। मीडिया से मुखातिब नाईक ने यह भी कहा कि बांबे को मुंबई नाम दिलाने के लिए इन्होंने लंबी लड़ाई लड़ी है। इन्हीं का अनुकरण करते हुए मद्रास को चेन्नई व बंगलोर को बंगलुरू किया गया। पेट्रोल व डीजल के दामों में आई कमी के बारे में पूर्व पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि देश में अच्छे दिन आने लगे हैं।


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