तीसरी बार लॉटरी फिर भी 166 फ्लैट खाली
जासं, इलाहाबाद : शहर पश्चिमी के झलवा इलाके में मौसम विहार आवास योजना के लिए सोमवार को तीसरी बार लॉटर
जासं, इलाहाबाद : शहर पश्चिमी के झलवा इलाके में मौसम विहार आवास योजना के लिए सोमवार को तीसरी बार लॉटरी निकाली गई लेकिन 166 फ्लैट फिर खाली रह गए। फ्लैट पाने को कुल 31 लोगों ने आवेदन किया था जिन्हें आवंटित कर दिया गया।
'मौसम विहार योजना' इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की महत्वाकांक्षी आवासीय योजनाओं में शुमार है। इस योजना के अन्तर्गत फ्लैटों का निर्माण नागार्जुन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड करा रहा है। बावजूद इसके फ्लैटों को खरीदने के लिए लोग ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। फ्लैटों की बुकिंग के लिए पूर्व में दो बार लॉटरी निकाली गई फिर भी 197 फ्लैट बिकने बाकी रह गए थे। इन फ्लैटों के आवंटन के लिए तीसरी बार आवेदन मांगे गए थे किंतु कुल 31 लोगों ने ही दिलचस्पी दिखाई जिसके लिए सिविल लाइंस में इंदिरा भवन स्थित प्राधिकरण कार्यालय में लॉटरी निकाली गई जिसमें शरद श्रेणी के आठ, शिशिर श्रेणी के चार, हेमंत श्रेणी के सात और बसंत श्रेणी के कुल 12 फ्लैट आवंटित हुए। लोगों द्वारा रुचि न दिखाने की वजह फ्लैटों के महंगे, शहर से दूर होने और क्षेत्र का अविकसित होना बताया जा रहा है। लॉटरी प्राधिकरण सचिव अमरनाथ उपाध्याय की अध्यक्षता में निकाली गई। पर्यवेक्षक प्रज्ञान राम मिश्र, वित्त नियंत्रक धर्मेद्र प्रकाश त्रिपाठी, मुख्य नगर नियोजक पीके सोलंकी, जोनल अधिकारी गुडाकेश शर्मा, सहायक अभियंता आरडी राय आदि मौजूद थे। ---------
पांच वर्ष बीते, नहीं मिला फ्लैट
-2009 में शुरू बुद्ध विहार आवास योजना नहीं हो पाई पूरी
नैनी, इलाहाबाद : इलाहाबाद विकास प्राधिकरण की आवासीय योजनाओं में फ्लैट लेने की सोच रहे हैं तो सावधान हो जाएं। प्राधिकरण की योजनाओं में फ्लैट लेकर लोग परेशान हो रहे हैं। नैनी के बुद्ध बिहार आवास योजना में करीब पांच साल पहले फ्लैट आवंटित कराने वाले अब तक उसमें रहने का सुख नहीं पा सके। क्योंकि योजना पूर्ण नहीं हो सकी है। लिहाजा आवंटियों को किराए के घर में रहना पड़ रहा है।
वर्ष 2009 में एडीए ने गरीबों के लिए नैनी क्षेत्र में बुद्ध बिहार आवास योजना शुरू की। लोगों ने अपनी जिंदगी भर की कमाई और बैंक से कर्ज लेकर फ्लैट बुक कराए। लोगों को लगा कि जल्द उन्हें अपने सपनों के आशियाने में रहने का अवसर मिलेगा लेकिन समय बीतने के साथ उनके सपनों को झटका लगने लगा। लगभग साढ़े पांच साल पहले शुरू हुई आवासीय योजना अभी तक पूरी नहीं हो सकी। आधे-अधूरे बने फ्लैटों की दो वर्ष पूर्व रजिस्ट्री भी कर दी गई। इस बीच फ्लैट निर्माण ठप पड़ गया। आधे-अधूरे बने फ्लैट भी जर्जर होते जा रहे हैं। छतों की रेलिंग, सीढि़यां व पाइप टूट चुकी हैं। पानी के लिए कोई इंतजाम नहीं, यहां तक कि दरवाजे और खिड़कियां भी नहीं लग सकी हैं। फ्लैट लेने वाले कई लोगों ने इसकी शिकायत एडीए उपाध्यक्ष से भी की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। ऐसे में लोग खुद को ठगा महसूस करने लगे हैं। फ्लैट खरीदने वाले संतोष, पीसी जोशी, पीके सिंह आदि ने इस बाबत एडीए के उपाध्यक्ष से मिलकर अपनी परेशानी को जल्द दूर करने की मांग की। जोनल अधिकारी पुष्कर श्रीवास्तव ने बताया कि दरवाजे-खिड़की और बोरिंग का काम होना है। 10-15 दिनों में आवंटियों को फ्लैट मिल जाएंगे।