माई री मैं कासे कहूं अपने जिया..
जासं, इलाहाबाद : वो कहते हैं न कि प्रतिभा किसी उम्र या सीमा की मोहताज नहीं होती है। यह पूर्णतया चरित
जासं, इलाहाबाद : वो कहते हैं न कि प्रतिभा किसी उम्र या सीमा की मोहताज नहीं होती है। यह पूर्णतया चरितार्थ होता है पांचवीं की छात्रा श्रेयसी माणिक (11 वर्ष) पर। छोटी उम्र में ही स्वर कोकिला लता मंगेशकर बनने का ख्वाब देखने वाली इस गायिका की आवाज को सूनने के लिए श्रोता बेकरार रहते हैं। बुधवार को एडीए कालोनी नैनी में दुर्गापूजा उत्सव के दौरान जिसने भी इन्हें सुना बस सुनता ही रह गया। पूजा पंडाल में आयोजित विशेष कार्यक्रम स्वरांजलि में इस 'नन्हीं लता मंगेशकर' ने एक से बढ़कर एक गाने सुनाए। 'नाम रे सबसे बड़ा तेरा नाम, तूने मुझे बुलाया शेरावालिये, एक राधा एक मीरा, बाजे रे मुरलिया बाजे, सुनो सजना पपीहे ने, कंकड़िया मारके जगाया,' जैसे गाने सुनाकर श्रेयसी ने लोगों का दिल तो जीता ही, अपनी गायकी का लोहा भी मनवा दिया। इसने श्रोताओं की मांग पर बंगाली गाने भी गाए। श्रेयसी का साथ उनकी बड़ी बहन अनुष्का, मानस हलदार और अरुण समद्दर ने दिया।