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इस 'ज्योति' से आलोकित है पाठा

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यह एक अलग तरह की ज्योति है। मन, ज्ञान और चेतना को प्रज्ज्वलित करने वाली।

By Edited By: Published: Thu, 02 Oct 2014 01:45 AM (IST)Updated: Thu, 02 Oct 2014 01:45 AM (IST)
इस 'ज्योति' से आलोकित है पाठा

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : यह एक अलग तरह की ज्योति है। मन, ज्ञान और चेतना को प्रज्ज्वलित करने वाली। हजारों गरीब परिवारों की आशा, उम्मीद और विश्वास की ज्योति। पाठा क्षेत्र जहां जीवन अपने आप में अभिशाप है। शिक्षा और स्वास्थ्य जहां दिवास्वप्न है। पीने का पानी नहीं, दो जून की रोटी के लिए हाड़तोड़ मेहनत। इसी क्षेत्र में कोई 20 बरस पहले सैकड़ों गरीब परिवारों के बीच उम्मीद की एक छोटी सी लौ जली। इस लौ से आज सैकड़ों परिवार लगन, मेहनत और स्वाभिमान के प्रकाश से आलोकित हैं।

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शहर की बेली कालोनी में रहने वाली ज्योति का पाठा क्षेत्र से रिश्ता कोई संयोग नहीं, बल्कि इसके पीछे उनके पति गोविंद बल्लभ पंत संस्थान के प्रो. सुनीत सिंह की प्रेरणा छिपी है। झूंसी के कोहना इंटर कॉलेज में पढ़ाई के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में एमए करने वाली ज्योति सिंह का मन शुरू से ही सामाजिक कार्यो में लगने लगा। शादी के बाद यह सोच परवान चढ़ी। पति के सहयोग और प्रेरणा से दूसरों के घरों को रोशन करना उनके मकसद में शामिल हो गया।

उनका मुख्य उद्देश्य बालिका शिक्षा को लेकर है। ज्योति सिंह का मानना है कि शिक्षा ही वह अस्त्र है जो महिलाओं को स्वावलंबी बना सकता है। 1999 में महिलाओं को लेकर उन्होंने स्वयं सहायता समूह की शुरुआत की। वर्तमान समय में महिलाओं के 122 स्वयं सहायता समूहों को साथ लेकर वह कार्य कर रही हैं। इनके निर्देशन में पहाड़ी क्षेत्रों में एक दर्जन से ज्यादा शिक्षा केंद्र चल रहे हैं जहां पत्थर मजदूरों की लड़कियां पढ़ लिख रही हैं। खादी ग्रामोद्योग से मिलकर उन्होंने गांवों में सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण कार्यक्रम भी शुरू कर रखा है। चार साल पहले उनके मिशन से जुड़कर सिलाई कढ़ाई में पारंगत हुई तीस लड़कियां आज पाठा क्षेत्र में अपने हुनर से औरों को सबल बनाने में लगी हुई हैं।

ज्योति सिंह बताती हैं कि महिलाओं को भी वह सारे अधिकार मिले हैं जो पुरुषों के पास हैं। नारी शक्ति चाह ले तो कुछ भी कर सकती है। इसी शक्ति को जगाने के लिए उनकी मुहिम चल रही है। बताती हैं कि उनसे जुड़कर दर्जनों पत्थर तोड़ने वाली लड़कियों ने आज इंटर और बीए की डिग्री हासिल कर ली है और स्वावलंबी हो गई हैं। ये बालिकाएं अब अपने जैसी गरीब मजदूरों की बालिकाओं को पढ़ाने और उन्हें आगे बढ़ाने में मदद दे रही हैं। बहरहाल बालिका शिक्षा की जो अलख ज्योति सिंह बीस साल पहले जलाई थी, उसकी रोशनी आज पाठा क्षेत्र के कोने कोने को जगमगा रही है।


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