'जीवन की विसंगतियां ही व्यंग्य'
जासं, इलाहाबाद : जीवन ही व्यंग्य की कार्यशाला है। जो विसंगतियां हम अपने जीवन में देखते हैं वही व्यंग्य है। उक्त विचार सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार डा.शेरजंग गर्ग के हैं। हिन्दुस्तानी एकेडमी के तत्वावधान में रविवार को हुए 'व्यंग्य लेखन कार्यशाला' में अपने उद्गार व्यक्त करते हुए डा.गर्ग ने व्यंग्य की विधाओं पर भी चर्चा की। विशिष्ट अतिथि डा. सूर्य कुमार पांडेय ने कहा कि व्यंग्यकार समाज की विद्रूपता को देखकर रोता है। व्यंग्य लिखकर या पढ़कर ही हम समाज में व्याप्त गंदगी की सफाई कर सकते हैं।
इससे पहले एकेडमी के अध्यक्ष डा.सुनील जोगी ने अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह व माला पहनाकर किया। फजले हसनैन, डा.सुरेंद्र वर्मा, रविनंदन सिंह, डा.मुदिता तिवारी, डा.पूर्णिमा मालवीय, डा.ऊषा मिश्रा, यास्मीन सुल्ताना नकवी, नंदलहितैषी, गोपाल रंजन, सुरेंद्र पाल सिंह समेत इविवि,आर्य कन्या डिग्री कालेज, ज्वाला देवी, जगत तारन कॉलेज के लगभग 60 प्रतिभागी भी उपस्थित थे।