'घातक हो सकता है पेट का अल्सर'
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : होटल कान्हा श्याम में आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी 'गेस्ट्रोकॉन 2014' के दूसरे दिन विशेषज्ञों ने उदर, आंत्र एवं यकृत संबंधित रोगों के कारण एवं उनके उपचार की जानकारी साझा की।
कोयंबटूर से आए इंडियन सोसायटी ऑफ गेस्ट्रोइंट्रोलॉजी के अध्यक्ष डॉ. वीजी मोहन प्रसाद ने 'जीआई लिम्फोमा' के प्रबंधन की नवीनतम जानकारी देते कहा कि उदर, छोटी आंत, ग्रसनी, भोजन नलिका, बड़ी आंत में कहीं भी लिम्फोमा हो सकता है। प्रख्यात उदर रोग विशेषज्ञ डॉ. जी चौधरी ने कहा कि पेट का अल्सर घातक हो सकता है। रक्तस्राव होने पर इंडोस्कोपी करनी चाहिए। डॉ. एसी आनंद ने बताया कि लाइफोमा एवं मायलोमा जीवाणु जनित संक्रमण को बढ़ावा देते हैं। एसपीजीआइ, लखनऊ के वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ. किम वाइफाई ने कहा कि उदर आंत्र एवं यकृत से जुड़े कई रोग ऐसे होते हैं जिनका निदान पैथोलॉजी परीक्षण द्वारा संभव हो पाता है। एम्स के डॉ. जी मखरिया ने इरिटोबिल बावल सिंड्रोम के प्रबंधन के विषय में जानकारी दी। आइबीएस के मरीज को कैल्शियम और विटामिन डी देना चाहिए। एसपीजीआइ लखनऊ के डॉ. एसके याग्चा ने बच्चों में कब्जियत की समस्या के प्रबंधन की जानकारी देते हुए कहा कि कुछ दवाओं के सेवन से भी कब्जियत हो सकती है। बच्चे के खानपान और मल त्याग की आदत पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों को रेशेदार आहार दें। छिलकेदार दाल, हरी साग सब्जी और अधिक पानी का सेवन करना चाहिए। एसपीजीआइ के डॉ.यूसी घोषाल ने दीर्घकाली अतिसार, जयपुर के डॉ. आरआर राय ने रक्तस्राव, मेदांता गुड़गांव के डॉ. राजेश पुरी ने इंडोस्कोपिक अल्ट्रासाउंड, पीजीआइ चंडीगढ़ के प्रो. आरके धीमान ने मलेरिया, टायफायड व पीलिया पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी में लखनऊ के डॉ. अजय चौधरी, डॉ. संदीप निझावन, मुंबई की डॉ. शोभना भाटिया, पीजीआई के डॉ.समीर मोहिंद्रा ने भी अपने विचार दिए। इस मौके पर डॉ. मनीषा द्विवेदी, डॉ. एसपी मिश्रा, डॉ. आलोक मिश्रा, डॉ. शांति चौधरी, डॉ. रोहित गुप्ता, डॉ. मनोज माथुर, डॉ.अशोक अग्रवाल, डॉ. वत्सला मिश्रा, डॉ. माधवी मित्तल, डॉ. अनिल अग्रवाल आदि मौजूद रहे।