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इतना आसान नहीं खाता खुलवाना

By Edited By: Published: Wed, 17 Sep 2014 07:49 PM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 07:49 PM (IST)
इतना आसान नहीं खाता खुलवाना

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत प्रत्येक परिवार का बैंक खाता खोलकर गरीबी उन्मूलन करने की फिक्र भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हो, लेकिन नगर के कुछ सार्वजनिक बैंक इसमें 'सहयोग' को लेकर उत्सुक नहीं दिख रहे हैं। हालांकि कुछ सरकारी बैंक ऐसे भी हैं जो शत-प्रतिशत व बेहतर परिणाम दे रहे हैं।

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जिले के लीड बैंक 'बैंक आफ बड़ौदा' व इलाहाबाद बैंक की सेवाओं से गरीब खाताधारक बेहद संतुष्ट नजर आ रहे हैं। पंजाब बैंक, कीडगंज शाखा में खाता खुलवाने के लिए लगातार बीस दिनों से चक्कर लगा रहे धनंजय केशरवानी ने बैंक कर्मियों की उदासीनता पर कहा, 'कुछ भी सुनने, समझने और करने को तैयार ही नही हैं बैंक वाले। बड़ी उम्मीद थी कि हमारे परिवार में भी एक बैंक खाता खुलेगा। लगभग 20 दिनों से दौड़ रहा हूं, लेकिन बैंककर्मी रोजाना कल, परसों की रट लगाए हुए हैं। ऐसा केवल धनंजय के साथ ही नहीं हो रहा है। शहर में तो फिर भी कुछ हद तक इस योजना के तहत खाता खोलने का काम शुरू है। गांवों में तो हालात बेहद खराब है। फाफामऊ की मालती देवी भी अपना एक एकाउंट खुलवाने के लिए विगत 15 दिनों से यहां के स्टेट बैंक आफ इंडिया शाखा की गणेश परिक्रमा कर रही हैं। परिणाम वही 'ढांक के तीन पात'। यक्ष प्रश्न यह है कि प्रधानमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट का हश्र क्या होगा? 26 जनवरी 2015 तक कैसे पूरा होगा लक्ष्य?

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बैंकों के लिए भी सिरदर्द

इलाहाबाद : ऐसा नहीं है कि जन-धन योजना में खाता खुलवाने में केवल सरकारी बैंक वाले ही उदासीनता बरत रहे हैं। खाता खुलवाने वाले जरूरतमंद लोग भी कुछ कम नहीं हैं। शहरों में ही नहीं वरन ग्रामीण क्षेत्रों में भी खाता खुलवाने वाले एक नहीं, चार से पांच खाते खुलवा रहे हैं।

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'16 अगस्त से बुधवार तक इस योजना के तहत समस्त जिले में हमारे बैंक ने ही लगभग 65 हजार से अधिक खातें खोले हैं। हम अपनी सभी शाखाओं की मानीटरिंग गंभीरतापूर्वक करते हैं। हमारे बैंकों में तो खाता खोलने में किसी को कोई दिक्कत ही नही आ रही है।'

-संजीव आनंद, वरिष्ठ प्रबंधक, बैंक आफ बड़ौदा, टैगोर टाउन, इलाहाबाद

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'प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए हम दिन-रात एक किए हुए हैं। शहर से गांव तक में हम कैंप लगाकर जरुरतमंदों का खाता खोल रहे हैं। लोग भी हमारे लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। वे एक नहीं, चार-पांच बैंक खाते खोलने को बेताब रहते हैं। ऐसे में स्थितियां हमारे लिए भी प्रतिकूल हैं।'

-अनिल सिन्हा, मुख्य प्रबंधक, स्टेट बैंक आफ इंडिया, इलाहाबाद।


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