'108' की मेहनत पर अस्पताल फेर रहे पानी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : दुर्घटना आदि होने की स्थिति में प्रदेश सरकार द्वारा लोगों को शीघ्र चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने को संचालित की गई 108 एंबुलेंस सेवा की मेहनत पर अस्पताल ही पानी फेर रहे हैं। यह खुद एंबुलेंस कर्मी कह रहे हैं। एसआरएन अस्पताल में रातों दिन एंबुलेंस की भागदौड़ बताने के लिए काफी है कि अन्य सरकारी अस्पतालों की स्थिति क्या है।
एंबुलेंस नंबर 0985 का चालक कुछ दिनों पहले पॉलीटेक्निक के समीप से एक वृद्ध व्यक्ति को बेहोशी की हालत में बेली अस्पताल लेकर पहुंचा। उस समय शाम को करीब सवा पांच बज रहे थे। बेली के डॉक्टरों ने मरीज को भर्ती करने से मना कर दिया। पूरी रात मरीज एंबुलेंस में ही पड़ा रहा। दूसरे दिन सुबह उसको एसआरएन में भर्ती कराना पड़ा। इसी एंबुलेंस से मंगलवार को कैंट से हीरालाल नामक व्यक्ति को भी बेली लाया गया। डॉक्टरों ने काफी जिद्दोजहद के बाद उसको भर्ती किया। इस दौरान दो घंटे तक मरीज एंबुलेंस में ही पड़ा रहा। इस एंबुलेंस पर तैनात टेक्नीशियन राजेंद्र यादव ने बताया कि इस बात की शिकायत उसने लखनऊ हेडआफिस में की है। एंबुलेंस कर्मियों का कहना है कि सूचना मिलते ही वह मरीज को अस्पताल तक पहुंचा तो देते हैं लेकिन डॉक्टरों का गैर जिम्मेदाराना रवैया उनको मुश्किल में डाल देता है। मंगलवार को भी एसआरएन अस्पताल में एंबुलेंस 108 का दिन भर आना व जाना लगा रहा। चालकों ने बताया कि कुछ मरीज तो बेली और काल्विन में भर्ती कर लिए जा रहे हैं, पर कई को एसआरएन में रेफर कर दिया जाता है।
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पार्किंग के नाम हो रही वसूली
एसआरएन अस्पताल में अव्यवस्था किस कदर हावी है, इसका प्रमाण गेट के भीतर दाखिल होने के बाद ही मिल जाता है। दो गार्डो के साथ एक युवक हाथ में रसीद लिए टेंपो, रिक्शा वालों के साथ ही दो पहिया वाहन चालकों से वसूली करते दिखाई देता है। आदेश है कि अस्पताल परिसर के अंदर सिर्फ अस्पताल कर्मियों के वाहन ही प्रवेश करेंगे, लेकिन पैसे देने के बाद कोई भी अंदर जा सकता है। इसका प्रमाण नो पार्किंग जोन में खड़े चार और दो पहिया वाहनों को देखकर मिल जाता है। अस्पताल प्रांगण स्टैंड बन गया है।