'अनुच्छेद 370 हटाने को जनांदोजन जरूरी'
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सहसंपर्क प्रमुख अरुण ने शनिवार को कहा कि अनुच्छेद 370 भारतीय संविधान की धारा नहीं बल्कि अस्थायी-अंतरिम अनुबंध है। इसका संबंध भारत में कश्मीर के विलय से नहीं है। इसके खत्म होने से देश की एकता मजबूत होगी और कश्मीर के लोगों के साथ लंबे समय से हो रहा भेदभाव समाप्त हो जाएगा। विभेद उत्पन्न करने वाली इस धारा का खत्म होना जरूरी है, इसके लिए जनांदोलन की आवश्यकता है।
वह आरएसएस की ओर से ज्वाला देवी इंटर कालेज, सिविल लाइंस में धारा 370 पर आयोजित गोष्ठी में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर एवं उसकी समस्या को लेकर देशभर में जानकारियों का घोर अभाव है। गिलगिट के कारण यह राज्य सामरिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से अहम है। क्योंकि इसका अंतर्राष्ट्रीय महत्व है। आरोप लगाया कि जम्मू कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला एवं तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के एक राजनैतिक समझौते से कश्मीर में अलगाववाद की समस्या हुई। कांग्रेस को छोड़ सभी दलों के 27 सदस्य इस धारा को हटाने की मांग पहली लोकसभा में ही कर चुके हैं। विभिन्न तर्को के जरिए उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद से कश्मीर के लोगों के साथ भी अन्याय हो रहा है। आरक्षण की सुविधा से उन्हें वंचित होना पड़ रहा है और पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह से लागू नहीं हो पा रही है। उन्होंने कहा कि 1954 में तत्कालीन राष्ट्रपति ने वहां धारा 35 का प्रावधान कर दिया। जिससे अन्य प्रांतों के लोगों को कश्मीर में जमीन आदि खरीदने का अधिकार समाप्त हो गया। कहा कि कश्मीर की समस्या पर जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपना बलिदान दे चुके हैं। गोष्ठी के अंत में छात्रों, बुद्धिजीवियों ने इस अनुच्छेद को समाप्त करने के उपाय पूछे। जिस पर सहसंपर्क प्रमुख ने तार्किक जवाब दिए। गोष्ठी की अध्यक्षता संघ के प्रांतीय पदाधिकारी आलोक मालवीय और संचालन निखिल ने की। इस मौके पर संघ के विभाग प्रचारक मनोज, प्रांत प्रचारक प्रमुख राजेंद्र, क्षेत्र संपर्क प्रमुख सुरेश, विभाग प्रचार प्रमुख डा. मोरार जी त्रिपाठी आदि मौजूद थे।