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यह कैसा असर, मरीजों पर टूट रहा कहर

By Edited By: Published: Thu, 21 Aug 2014 01:32 AM (IST)Updated: Thu, 21 Aug 2014 01:32 AM (IST)
यह कैसा असर, मरीजों पर टूट रहा कहर

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : हाईकोर्ट के आदेश पर स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल (एसआरएन) में चल रहा प्रशासन का छापामारी अभियान अब मरीजों के लिए मुसीबत बन गया है। बुधवार को अभियान के दौरान अफसरों से डॉक्टरों की शिकायत करना एक मरीज को महंगा पड़ गया। डॉक्टर ने धमकी देते हुए मरीज की बेरहमी से पिटाई कर दी। वहीं एक अन्य मरीज ने डॉक्टरों की लापरवाही के कारण दम तोड़ दिया।

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बुधवार को अपर आयुक्त शेषमणि पांडेय और अपर निदेशक स्वास्थ्य डॉ. आभा श्रीवास्तव ने अस्पताल का निरीक्षण किया। बर्न यूनिट का निरीक्षण कर जब अधिकारी वापस लौट रहे थे तभी रास्ते में दो महिलाओं ने उनका रास्ता रोक लिया। बहरिया की रहने वाली रेहाना का कहना था कि उनके पति मो. तौहीद वार्ड नंबर 11 के बेड नंबर 18 पर पांच दिन से भर्ती हैं। उन्हें कई दिन से बुखार आ रहा है। डॉक्टर उसका इलाज नहीं कर रहे हैं। जब वे लोग डॉक्टरों के पास गई तो मरीज को छुट्टी के लिए कह दिया गया। यह सुनते ही अपर आयुक्त शेषमणि पांडेय सहित अन्य अफसरों का पारा चढ़ गया। इस मौके पर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डा. एसपी सिंह भी मौजूद रहे। उन्होंने वहीं से वार्ड के इंचार्ज से बातचीत की। खैर कार्रवाई का आश्वासन देकर अधिकारी यहां से आगे बढ़ गए। इसके बाद जो हुआ, वह हतप्रभ कर देने वाला था। अपराहन दो बजे तौहीद बेड पर अकेला था। महिलाएं पानी लेने गई थीं। उसी समय दो जूनियर डॉक्टर वहां पहुंचे। एक ने धमकी देते हुए एथेस्टोस्कोप से ही तौहीद की पिटाई शुरू कर दी। बुखार से पीड़ित तौहीद को बचाने कोई आगे नहीं आया। परिजन पहुंचे तो वहां हंगामा मच गया। तौहीद की पत्‍‌नी ने विरोध जताना शुरू कर दिया तो उस पर समझौते के लिए दबाव डाला जाने लगा। उसने समझौता नहीं किया और पति को लेकर कोतवाली चली गई। वहां डॉक्टर के खिलाफ तहरीर देकर तौहीद को काल्विन में भर्ती करा दिया गया।

उधर, सर्जिकल वार्ड एक में कर्वी चित्रकूट निवासी जितेंद्र कुमार 28 को मंगलवार की रात 2 बजे भर्ती कराया गया। उसके सिर में गहरी चोट थी। परिजन रात भर डॉक्टरों से विनती करते रहे, लेकिन किसी को रहम नहीं आया। बुधवार को दोपहर जब प्रशासन की टीम वहां पहुंची तो परिजनों ने डॉक्टरों की लापरवाही की शिकायत की। इस पर अपर आयुक्त ने डॉक्टरों को जमकर फटकार लगाई। उनके वहां से जाने के बाद जितेंद्र ने भी दम तोड़ दिया।

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कहां गया रमाकांत, पता लगाओ

-सर्जिकल वार्ड में नहीं मिला रिकार्ड, नाराज हुए अफसर

इलाहाबाद : एसआरएन में अव्यवस्था की ऐसी हद, इसकी कल्पना भी अधिकारियों ने नहीं की थी। हाईकोर्ट के आदेश पर बुधवार को अपर आयुक्त व एडी हेल्थ के नेतृत्व में जब टीम सर्जिकल वार्ड में पहुंची तो वहां की कार्यप्रणाली देख हैरत में पड़ गई। वहां रखे रिकार्ड से अधिकारी असंतुष्ट नजर आए।

रजिस्टर में अंकित मिला कि रमाकांत नामक मरीज 18 अगस्त को बेड नंबर 42 पर भर्ती हुआ। इसके बाद उसका कुछ पता नहीं है। मरीज को कब छुटटी दी गई इसका कोई उल्लेख नहीं है। यही नहीं इस दौरान मरीज कहां रहा, उसका इलाज कैसे किया गया आदि बातों का भी कोई रिकार्ड डॉक्टर दिखा नहीं पाए। इसको लेकर अधिकारियों ने वहां के स्टाफ को जमकर खरी खोटी सुनाई। सर्जिकल वार्ड दो में मरीज गर्मी से बेहाल नजर आए। तीमारदार हाथ से पंखा झलते रहे। इमरजेंसी पोस्ट सर्जिकल वार्ड में कोई परिवर्तन न देख अपर आयुक्त ने इसकी रिपोर्ट तलब की। यहां की ईओटी में कोई भी मरीज भर्ती नहीं मिला और न ही कोई आपरेशन किया गया।

यहां से टीम बर्न यूनिट पहुंची। वहां गंदगी और दुर्गध ने अपना साम्राज्य कायम कर रखा था। वार्ड में मरीज तड़प रहे थे, लेकिन वहां लगी छह एसी बंद पड़ी थीं। इसको लेकर अपर आयुक्त शेषमणि ने सवाल भी खड़े किए। चेंबरों के दरवाजे आदि टूटे होने पर अधिकारियों ने नाराजगी जताई। काम में लापरवाही बरतने पर एफआईआर दर्ज कराने की चेतावनी भी दे डाली। बेडों पर बिस्तर नहीं लगे थे जिसको लेकर वहां की इंचार्ज पुष्पा को जमकर खरी खोटी सुनाई। इसके पहले अधिकारियों ने ओपीडी चेक की। अन्य वार्डो का निरीक्षण किया और मरीजों से बातचीत की।

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चैन की बंशी बजा रहे संविदा डॉक्टर

इलाहाबाद : एसआरएन में इतना सबकुछ हो रहा है, पर यहां संविदा पर तैनात डॉक्टर चैन की बंशी बजा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो एसआरएन के कुछ सीनियर डॉक्टर भी इस्तीफा देने का मन बना रहे हैं। माना जाता है कि इस्तीफा देने के बाद यही डॉक्टर यहां संविदा पर तैनात किए जा सकते हैं।

सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर हाईकोर्ट द्वारा शिकंजा कसने के बाद एसआरएन के सीनियर डॉक्टरों में खलबली मची हुई है। ऐसे में फायदा उन्हें पहुंच रहा है जो संविदा पर हैं। संविदा पर तैनात डॉक्टरों के लिए किसी प्रकार की बंदिश नहीं है। वह अस्पताल में सेवा देने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस कर सकते हैं। गायनिक विभाग में ही आधा दर्जन डॉक्टर ऐसे हैं जो संविदा पर हैं।

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