तीन लाख के 'मेडीक्लेम' में लग गए आठ साल
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद :
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 90 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक के मेडिकल दावे को आठ साल तक लटकाए रखने पर नाराजगी जतायी और कहा कि अधिकारियों की ऐसी सोच अफसोस जनक है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को मेडिकल दावे (मेडीक्लेम) को एक निश्चित समय सीमा के अंदर निपटा देना चाहिए, ताकि वरिष्ठ नागरिकों को परेशान होकर मुकदमेबाजी में उलझना न पड़े। हालांकि इस मामले में कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद आयुक्त/निदेशक उद्योग उप्र द्वारा 2 लाख 80 हजार 749 रुपये स्वीकृत कर दिया गया। कोर्ट ने याची से कहा है कि यदि उनकी कोई अतिरिक्त शिकायत है तो वह अधिकारी के समक्ष अपनी मांग रख सकते हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति एसके सिंह तथा न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी की खंडपीठ ने सोनभद्र के ईश्वर दयालू सिंह की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर अधिवक्ता रवि प्रकाश श्रीवास्तव ने बहस की। इनका कहना था कि याची ने बीमारी के इलाज के खर्च के भुगतान का दावा किया किन्तु आठ वर्ष तक अधिकारियों ने कोई तवज्जो नहीं दी तो उसने हाई कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने वरिष्ठ नागरिक को मेडिकल सहायता देने पर विचार करने को कहा तो सरकारी वकील ने बताया कि आठ अगस्त 14 को दावे को मंजूरी दे दी गयी है। कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को ऐसे मामलों में स्वयं पहल करनी चाहिए, ताकि पीड़ित लोगों को अनावश्यक परेशानी न उठानी पड़े। कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर दी है।