'सूखवा में सभे केहू आपन, दुखवा बंटावे वाला के बा'
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद: जीवन पर्यन्त अपने इर्द-गिर्द घूमती घटनाओं एवं परिस्थितियों से हम जूझते रहते हैं। जीवन यात्रा के दौरान हम जो चाहते हैं वह नहीं कर पाते। जो नहीं करना चाहते वह हो जाता है। ऐसे ही जिनसे हम मिलना चाहते हैं वह हमें नहीं मिल पाते और जिससे नहीं मिलना चाहते वह अक्सर हमें मिल जाते हैं।
फिर भी हम जीते हैं..सुख-दुख, पाने-खोने के क्रम से किसी का भी जीवन अछूता नहीं रहता। अंतर महज इतना है कि खुशी तो हम सबके साथ बांट लेते हैं लेकिन दुख हमें अकेले ही सहना पड़ता है। शायद यही जीवन है। नाट्य संस्था रंगयात्री के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत नाटक 'रुदाली' में भावना प्रधान दृश्य देख दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र में संस्कृति मंत्रालय, नई दिल्ली के सहयोग से मंचित इस नाटक की लेखिका थीं महाश्वेता देवी, जबकि पूजा ठाकुर का निर्देशन अप्रतिम रहा।