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कॉलेजों में पढ़ाया जाएगा गंगा का पाठ

By Edited By: Published: Tue, 19 Aug 2014 09:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Aug 2014 09:55 PM (IST)
कॉलेजों में पढ़ाया जाएगा गंगा का पाठ

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : गंगा अब केवल बड़े-बुजुर्गो की आस्था तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि सीधे युवाओं को इससे जोड़ने की तैयारी हो गयी है। देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में गंगा का पाठ पढ़ाया जाएगा। गोविंद बल्लभ पंत संस्थान झूंसी में 'गंगा के प्रबंधन एवं संरक्षण में शैक्षिक संस्थानों की भूमिका एवं जिम्मेदारी' विषयक राष्ट्रीय कार्यशाला में मंगलवार को इसका खाका खींचा गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय अब देश भर के अनुसंधानविदों की कार्यशाला आयोजित करेगा, ताकि गंगा से जुड़े जो शोध रह गए हैं, वह भी पूरे कर दिए जाएं।

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कार्यशाला के दूसरे दिन गंगा के संरक्षण के परिपेक्ष्य, नीतियां तथा कार्ययोजना मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई। इसमें वक्ताओं ने कहा कि राष्ट्रीय नदी के रूप में गंगा का मुद्दा देश भर में उठाया गया है, जो जन-जन में चर्चा का विषय बना है। केंद्र सरकार ने भी इस संबंध में नीतियां स्पष्ट की हैं। अब जरूरत है कि विवि स्तर पर इसे पाठ्यक्रम में जोड़ा जाए। इसके लिए पहले चरण में फाउंडेशन कोर्स बनाया जाएगा और बाद में स्नातक एवं परास्नातक के पाठ्यक्रम में इसे जोड़े जाने की सिफारिश देश के सभी विश्वविद्यालयों से की जाएगी।

पाठ्यक्रम बनाने एवं उसे लागू करवाने के संयोजक चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ के प्रति कुलपति डॉ. जेके पुंडीर को बनाया गया है। वहीं क्राइस्ट चर्च कॉलेज कानपुर के अनूप सिंह, वीर नर्मद साउथ गुजरात विश्वविद्यालय सूरत के प्रो. परवेज अब्बासी, रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी जबलपुर के डॉ. प्रह्लाद मिश्र को सदस्य बनाया गया है। गंगा पर अब तक जितने अनुसंधान हुए हैं उनकी पड़ताल करने और जो बिंदु रह गए हैं, उन पर शोध करने के लिए इविवि जल्द ही अनुसंधानविदों की अलग से कार्यशाला कराई जाएगी। जो प्रस्ताव होंगे वह एक किताब के रूप में छह महीने में सामने आएंगे।

कार्यशाला के संयोजक इलाहाबाद विश्वविद्यालय के ग्लोबलाइजेशन एवं विकास अध्ययन केंद्र के अध्यक्ष प्रो. वीपी सिंह ने कहा कि विकास दो तरह का होता है। एक से विनाश होता है और दूसरा धीमा किंतु सर्जनात्मक होता है। इस पर काम किया जाना चाहिए। छात्रों ने भी एलान किया कि वह अपने स्तर पर भी काम करेंगे। एनसीसी छात्र गंगा के किनारे शिविर लगाएंगे। जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा कि गंगा के लिए छोटे-छोटे स्तर पर काम होना चाहिए। गंगा का वेग किसी भी सूरत में रोका न जाए। ऐसे लोगों को तैयार करना है, जो लोगों को जागरूक भी करे।

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शंका न करें समाधान खेजें : झुनझुनवाला

इलाहाबाद : प्रमुख अर्थशास्त्री एवं स्तंभकार प्रो. भरत झुनझुनवाला ने कहा है कि केंद्र सरकार की योजना पर शंका नहीं करनी चाहिए। यदि सरकार गंगा पर पानी के जहाज इलाहाबाद से हल्दिया तक चलाना चाहती है तो पहले उसे देखें कैसे संचालन हो रहा है। प्रो. झुनझुनवाला ने कहा कि शैक्षिक संस्थानों को चाहिए कि वह शोध करें और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें कि आखिर इस योजना से क्या लाभ या नुकसान हो सकते हैं। गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए समाज से सभी वर्गो को हर स्तर पर प्रयास करना चाहिए।


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