कृष्ण वियोग में 'दूसरी राधा' घर में कैद
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कृष्ण जन्माष्टमी हो और दूसरी राधा नाचे न, ऐसा पहली बार हुआ। जश्न से दूर उनका पूरा दिन घर के अंदर एकांतवास में बीता। न किसी से बात की और न ही मिलने में दिलचस्पी दिखाई। उनका यह व्यवहार लोगों को हतप्रभ कर गया।
दूसरी राधा यानी पूर्व आईजी डीके पंडा, देश और शहर के लिए कोई नया नाम नहीं और न ही नई है उनकी कृष्ण भक्ति। शायद यही कारण है कि हर साल उनके आवास पर लोग पहुंच ही जाते हैं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के जश्न में शरीक होने। शायद पहली बार हुआ जब लोगों को बैरंग वापस लौटना पड़ा। लाख प्रयास के बाद भी दूसरी राधा किसी से नहीं मिलीं। उनके घर पर सन्नाटा पसरा हुआ था। उल्लास की कोई किरण दूर-दूर तक नजर नहीं आई। पड़ोसियों ने बताया कि सुबह स्नान-ध्यान के बाद कुछ क्षण बगीचे में बिताया फिर घर के अंदर चली गई। हां इतना जरूर था कि आज भी उनकी वेशभूषा रोज की तरह थी। शरीर पर पीतांबर, पांव में पाजेब और हाथ में चूड़ियां। होंठ पर लाली और माथे पर बिंदी उनकी पहचान को गहरा कर रही थीं। सब कुछ पुराने जैसा, पर जश्न नदारद। शायद ऐसा पहली बार हुआ था। यही कारण था जिसने लोगों को सोचने पर विवश कर दिया। अब तक वह श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर अपने स्वामी (श्रीकृष्ण) के प्रेम में नाचती थीं और लोगों का जमावड़ा लगा रहता। सभी को प्रसाद मिलता और लोग जमकर दूसरी राधा के साथ ठुमके लगाते। इस बार लोगों को दूसरी राधा की उदासीनता खल गई। उनके पड़ोसियों में कयासबाजी का बाजार गरम था।