भुगतान के 'भंवर' में फंसी एसटीपी
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : मेंहदौरी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का निर्माण कार्य भुगतान के 'भंवर' में फंसता नजर आ रहा है। निर्माण एजेंसी आइवीआरसीएल का करोड़ों रुपये गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई द्वारा रोके जाने से एजेंसी अब काम कराने में असमर्थ साबित हो रही है। इससे एसटीपी का काम इस वर्ष के अंत तक पूरा होने में भी संशय है।
60 एमएलडी जलमल शोधन की क्षमता वाले मेंहदौरी एसटीपी का काम कुंभ 2012-13 में ही पूरा होना था। लेकिन उस समय 30 एमएलडी का काम ही पूरा हो सका था। बाद में कार्य अवधि बढ़ा दी गई। गत वर्ष आई बाढ़ में 30 एमएलडी का एसटीपी भी बर्बाद हो गया, जिसके फिर से शुरू होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, शेष 30 एमएलडी का काम चल रहा है। मगर वहां बने सीवरेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) का साढ़े तीन करोड़ रुपये गंगा प्रदूषण इकाई द्वारा नहीं देने से एजेंसी आगे एसटीपी का काम न करा पाने में अक्षम साबित हो रही है।
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कचरे से चोक हो रहे एसपीएस
आइवीआरसीएल ने अलोपीबाग, ममफोर्डगंज, मोरी गेट और अल्लापुर सीवरेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) का भी काम कराया है। नियमत: एसपीएस से सीवर लाइन को जुड़ना चाहिए किंतु उक्त सभी एसपीएस से नालों को भी जोड़ दिया गया है जिससे पॉलीथिन, कचरा और मरे हुए पशु एसपीएस में आकर फंस जाते हैं जिससे वह चोक हो जाता है। एसपीएस के चोक होने से बरसाती पानी तेजी से नहीं निकल पाता है। इससे बरसात के समय क्षेत्रों में जलभराव की समस्या हो जाती है। खास यह कि मंडलायुक्त ने नालों और सीवर को अलग करने के लिए कहा था। फिर भी दोनों को जोड़ा गया। एसपीएस का भी ढाई करोड़ रुपये रोके जाने की बात एजेंसी के अधिकारी कह रहे हैं।
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दो करोड़ रुपये का बिल एजेंसी ने जुलाई में दिया था जिसमें 66 लाख का भुगतान किया गया। क्योंकि काम उतने का ही किया गया था। अब फिर से 2.52 करोड़ का बिल दिया गया है। वह भी घटकर बहुत कम आएगा। जब काम ठीक होगा, तभी भुगतान किया जाएगा। सीवर चालू न होने से नालों को एसपीएस से जोड़ना पड़ा। यदि सीवर लाइन शुरू हो गई होती तो नालों को नहीं जोड़ा जाता।
-जेपी मणि, परियोजना प्रबंधक गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई।