गलती दोहराने के मूड में नहीं थी पुलिस
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : आंदोलनकारी छात्रों को रोकने के लिए पुलिस ने इस बार सुबह से ही तैयारी कर रखी थी। आंदोलनकारी छात्रों के साथ भी पुलिस का रवैया तल्ख नहीं था। पुलिस अधिकारी लगातार उनसे संपर्क साधे हुए थे। छात्रों के साथ सादी वर्दी में पुलिस के जवान भी थे, जो पल-पल की जानकारी अधिकारियों तक पहुंचा रहे थे। दरअसल, पुलिस इस दफा गत वर्ष आरक्षण आंदोलन के दौरान हुए बवाल से सीख चुकी थी।
पुलिस अधिकारियों ने एक दिन पहले ही छात्रनेताओं से वार्ता शुरू कर दी थी। उनका कहना था कि छात्रों के साथ तब तक सख्ती नहीं की जाएगी, जब तक कि वह अपनी मांगें मनवाने के लिए कोई अप्रिय तरीका नहीं अपनाते। इसी रणनीति के तहत सुबह से छात्रनेताओं से वार्ता चल रही थी। दोपहर में अचानक माहौल उस वक्त बिगड़ गया जब रास्ता जाम कर रहे कुछ युवकों ने छात्राओं को रोकने की कोशिश की। तब पुलिस ने लाठियां भांजकर उनको वहां से खदेड़ा।
छात्रनेताओं ने भी किया विरोध
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे छात्रनेता भी शांतिपूर्ण तरीके से ही अपनी मांगें मनवाने के मूड में थे। रास्ताजाम कर रहे कुछ युवकों ने जब छात्राओं को रोका तो छात्रनेताओं ने विरोध किया।
आरक्षण आंदोलन जैसे थे हालात
सीसैट को लेकर आंदोलन कर रहे छात्र सुबह जब सड़क पर उतरे तो एक बारगी माहौल आरक्षण आंदोलन जैसा हो गया था। लोकसेवा आयोग चौराहे के पास से गुजरने वाले सशंकित थे मगर शाम तक सब कुछ समान्य होने पर शहरियों ने राहत की सांस ली।