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छात्रसंघ भवन पर मना जश्न, बंटी मिठाई

By Edited By: Published: Wed, 30 Jul 2014 01:39 AM (IST)Updated: Wed, 30 Jul 2014 01:39 AM (IST)
छात्रसंघ भवन पर मना जश्न, बंटी मिठाई

जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : कुलपति के इस्तीफे ने मानों छात्रों की मुंहमांगी मुराद पूरी कर दी है। इसीलिए मंगलवार को ईद के अवकाश के बाद भी छात्रसंघ भवन पर छात्रों ने जमकर जश्न मनाया और खूब मिठाई बांटी। छात्रों व छात्र नेताओं ने कुलपति के इस्तीफे को अपनी जीत बताया है।

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मंगलवार को छात्रों ने संघर्षो के प्रेरणास्रोत शहीद लाल पद्माधर की मूर्ति पर माल्यार्पण कर जीत की खुशी मनाते हुए कहा कि कुलपति के संवादहीनता, गैर जिम्मेदाराना रवैया और अपने क‌र्त्तव्यों का निर्वहन न कर पाने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई व छात्रों के दबाव में आकर कुलपति को इस्तीफा देना पड़ा। छात्र नेता अमरेंदु सिंह ने कहा कि कुलपति को अप्रैल 2012 में ही इलाहाबाद विश्वविद्यालय में हुए बवाल के बाद अपनी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए था। उन्हें यदि विवि की अस्मिता और गरिमा का ख्याल होता तो ऐसी स्थिति न आने देते। छात्र नेता श्याम प्रकाश पांडेय ने कहा कि इविवि में जब से कुलपति आये थे तब से पूरा परिसर अशांत था, कभी कर्मचारी, कभी शिक्षक तो कभी छात्र हड़ताल पर रहते थे। इस कारण से इविवि की अस्मिता धूमिल हुई उसका मूल कारण संवादहीनता रही। छात्रों एवं कर्मचारियों की लड़ाई सफल रही और कुलपति को हटाने की निर्णायक लड़ाई के लिए धन्यवाद दिया।

छात्र नेताओं ने कहा कि पूरब के ऑक्सफोर्ड के गौरव को स्थापित करने के लिए एक योग्य कुलपति को यहां तैनात किया जाए। यहां पर अंबुज मिश्रा, अभय सिंह, शेषनारायण ओझा, विवेक वर्मा, आलोक सिंह, रजनीश सिंह, राहुल चौरसिया, दीप सिंह, गौरव पांडेय, राघवेंद्र यादव, विजय यादव आदि थे।

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कार्यपरिषद भंग करने की मांग

इलाहाबाद : स्वदेशी जागरण मंच काशी प्रात के संयोजक डॉ. निरंजन सिंह ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एके सिंह के त्यागपत्र के निर्णय का स्वागत किया है। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद को भी तत्काल भंग करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की दुर्दशा के लिए जितना कुलपति जिम्मेदार हैं, उससे कहीं अधिक कार्यपरिषद के सदस्य भी जिम्मेदार हैं। डॉ. सिंह ने कहा कि वर्तमान कार्यपरिषद के अधिकाश सदस्य काग्रेसी मानसिकता के हैं, जिन्होंने विश्वविद्यालय को सही दिशा देने के लिए कुलपति का मार्गदर्शन करने की बजाय निहित स्वार्थो के लिए कार्य किया है। उन्होंने शिक्षकों को प्रशासनिक दायित्वों से मुक्त करने की मांग की है।


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